9 घंटे की ब्रेन सर्जरी में सैक्सोफोन बजाता रहा शख्स:इटली के पाइडिया इंटरनेशनल अस्पताल में हुआ ट्यूमर का ऑपरेशन

रोम5 महीने पहले
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इटली की राजधानी रोम के पाइडिया इंटरनेशनल अस्पताल से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां एक शख्स 9 घंटे की ब्रेन सर्जरी के दौरान म्यूजिकल इन्टूमेंट बजाता रहा। डॉक्टरों का कहना है ऑपरेशन सफल रहा, जल्द ही हम उसे अस्पताल से छुट्टी दे देंगे।

अस्पताल की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति ने बताया गया कि GZ एक संगीतकार हैं, उन्हें ब्रेन ट्यूमर था। सभी जरूरी जांच करने के बाद डॉक्टरों ने उनका ऑपरेशन करने का फैसला किया। डॉक्टरों ने बताया कि ऑपरेशन के दौरान हमें मरीज को जगाए रखना था, जिससे पता चलता रहे कि हम मरीज के दिमाग की तंत्रिकाओं से छेड़छाड तो नहीं कर रहे हैं।

अस्पताल की 10 डॉक्टरों की टीम ने GZ का ऑपरेशन किया। न्यूरोसर्जन डॉ. क्रिश्चियन ब्रोगना इस टीम की लीडरशिप कर रहे थे। उन्होंने बताया कि हर इंसान का ब्रेन अलग होता है। न्यूरो से जुड़े ऑपरेशन के दौरान मरीज को जगाकर रखना जरूरी होता है। ऐसे में हम मरीजों को खेलने, बातचीत करने, गिनती करने जैसे इंस्ट्रक्शन देते हैं।

मरीज ने इसलिए बजाया GZ
ऑपरेशन से पहले जब हमने GZ से बात की तो उन्होंने हमें अपनी म्यूजिक स्किल के बारे में बताया। फिर हमने उन्हें ऑपरेशन के दौरान सैक्सोफोन बजाने को कहा। इसके बाद 9 घंटे तक चले ऑपरेशन में जीजेड ने सैक्सोफोन पर 1970 की फिल्म 'लव स्टोरी' का टाइटल सॉन्ग और इतालवी राष्ट्रगान की धुन बजाई।

क्या है ब्रेन ट्यूमर
एक्सपर्ट्स के मुताबिक ब्रेन ट्यूमर मास्तिष्क में असामान्य कोशिकाओं के जमाव के कारण होता है। ब्रेन ट्यमूर न सिर्फ मास्तिष्क के काम को बल्कि आपके स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है। ब्रेन में विकसित होने वाले ट्यूमर को प्राइमरी ट्यूमर कहते हैं। वहीं, शरीर के एक अलग हिस्से में बनने के बाद ब्रेन में फैलने वाले ट्यूमर को मेटास्टेटिक ब्रेन ट्यूमर कहते हैं।

कैंसर की वजह बनता है ट्यूमर?
कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल के हेड न्यूरोसर्जन डॉ. अभय कुमार कहते हैं, केवल एक तिहाई ब्रेन ट्यूमर ही कैंसर में तब्दील होते हैं। ज्यादातर ब्रेन ट्यूमर नॉन-कैंसरस होते हैं यानी इनसे कैंसर का खतरा नहीं होता है। इनका इलाज करके पूरी तरह से खत्म किया जा सकता है। इसकी शुरुआत तो ब्रेन से होती है, लेकिन कैंसर में बदलने पर यह शरीर के कई हिस्सों तक पहुंच सकता है। जैसे- यह किडनी, ब्रेस्ट, फेफड़े और आंतों तक पहुंच सकता है। इसलिए इसकी जानकारी मिलते ही इलाज शुरू कर दें।

मोबाइल रेडिएशन से होता है ब्रेन ट्यूमर
अब तक कोई ऐसी रिसर्च सामने नहीं आई, जो यह साबित करती हो कि मोबाइल फोन या रेडिएशन ब्रेन ट्यूमर की वजह बनता हो। हां, लम्बे समय तक रेडिएशन के सम्पर्क में रहने से सेहत को नुकसान पहुंच सकता है। इसलिए अलर्ट रहने की जरूरत है।

अलग-अलग मरीजों में लक्षण भी अलग दिख सकते हैं। कुछ मरीजों में इसके लक्षण भी नहीं दिखाई देते हैं। वहीं, कुछ में हालत इतनी खराब हो जाती है कि इलाज करना मुश्किल हो जाता है। हर मरीज में ऐसा दिखना ब्रेन ट्यूमर का संकेत नहीं है। सिरदर्द की कई वजह हो सकती है, सिर्फ इसे ब्रेन ट्यूमर का लक्षण मानना सही नहीं है। लक्षण महसूस होने पर जांच कराएं।

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