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2008 की बात है। 16 साल के युवक को न्यूयॉर्क के कैनेडी एयरपोर्ट पर अमेरिकी पुलिस ने रोक लिया और एक सुनसान कमरे में ले गई। सिर्फ मुस्लिम होने की वजह से पुलिस ने उनसे पूछा कि क्या वो किसी आतंकी कैंप में गए थे और उनका इरादा अमेरिका पर आतंकी हमला करने का है। 13 साल गुजर जाने के बाद आज वही लड़का इस लायक बन गया है कि इसी न्यूयॉर्क का कानून बनाएगा।
हम बात कर रहे हैं जोहरान ममदानी की, जो मशहूर फिल्म डायरेक्टर मीरा नायर और कोलंबिया यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर महमूद ममदानी के बेटे हैं। एस्टोरिया सीट से चुने गए जोहरान न्यूयॉर्क असेंबली का चुनाव जीतने वाले पहले भारतीय हैं। वे 1999 से न्यूयॉर्क में रह रहे हैं। चुनाव नतीजे आने के बाद जोहरान ने दैनिक भास्कर के साथ कुछ वक्त बिताया। जोहरान मुस्कुराते हुए कहते हैं कि भारत में विधायक बनने पर लंबी बंदूक ताने हुए चार सिपाही मिलते हैं। मैं यहां विधायक बना हूं, बगैर बंदूक ताने सिपाही के।’ जोहरान एक कुर्ता और जींस को भी ग्लैमरस बना देते हैं। चाहे वो अपनी मां मीरा नायर के साथ सेलिब्रिटी शो में जा रहे हों या अपनी असेंबली के लोगों के हक के लिए मार्च निकाल रहे हों। उनकी मुस्कान ट्रेडमार्क बन गई है।
डेमोक्रेटिक जोहरान बर्नी सैंडर्स की सोशलिस्ट पार्टी ऑफ अमेरिका से संबंध रखते हैं और उबरते हुए सोशलिस्ट लॉ मेकर्स बन गए हैं। उन्होंने एक एनजीओ के साथ हाउसिंग काउंसलर के तौर पर काम शुरू किया। इस दौरान सैकड़ों लोगों से मिले जो होम लोन चुकाने के बावजूद घर से निकलने की कगार पर थे, यही उनके चुनाव लड़ने का प्रमुख कारण बना। जोहरान बताते हैं कि इसी वजह से मैंने लड़ने का फैसला किया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी के सपनों का घर न टूटे। इसलिए मैंने इलेक्शन कैंपेन में लोगों को घर दिलाने का वादा किया है। बढ़ते हाउसिंग रेंट पर अंकुश लगाना भी मेरी प्राथमिकता है।’ उनकी असेंबली एस्टोरिया में 14.2% एशियन अमेरिकन, 8.2% अश्वेत और 24.4% हिस्पैनिक हैं।
जोहरान कहते हैं, ‘मैं यहां बसे दक्षिण एशियाई लोगों को गरिमापूर्ण जीवन देने के लिए संघर्ष करना चाहता हूं।’ वे कहते हैं, ‘दक्षिण एशियाई इस शहर की संस्कृति का बड़ा हिस्सा है, लेकिन इन्हें राजनीतिक रूप से मिटा दिया गया है। यहां 13.3 लाख भारतीय दमदार उपस्थिति रखते हैं।’ जोहरान ने अपने कैंपेन में टैक्सी ड्राइवर्स के कर्ज का मुद्दा उठाया, जो कोरोना की वजह से मुश्किलों में हैं।
जोहरान ने मेल और हाथ से लिखे पोस्टकार्ड 8 भाषाओं, हिंदी, नेपाली, तिब्बती, उर्दू, पंजाबी, बंगाली, अरेबिक और सर्बो-क्रोशियन भाषा में लोगों तक पहुंचाए। वे कहते हैं, ‘हमारे पूरे कैंपेन का विश्वास था कि यदि आप लोगों को मान-सम्मान देंगे तो वे वोट देने के लिए जरूर मोटिवेट होंगे।’ न्यूयॉर्क में 57,600 बेघर आबादी है। स्टेट असेंबली का सदस्य बनने के बाद जोहरान इस मुद्दे को निपटाना चाहते हैं। उनकी मंशा है कि हेल्थ केयर, चाइल्ड केयर और लोगों को शक्ति के अधिकार मिले।
जोहरान कहते हैं, ‘उन्हें उम्मीद है कि उनका इलेक्शन कैंपेन उन साउथ एशियन उम्मीदवारों के लिए ब्लू प्रिंट साबित हो सकता है, जो भविष्य में चुनाव लड़ सकते हैं। साथ ही उन लोगों के लिए जो अपने पड़ोस के साथ-साथ देश के लोगों के लिए न्याय में विश्वास रखते हैं।’
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