फेसबुक को मेटावर्स में तब्दील करने वाले मार्क जकरबर्ग की बहन रैंडी जकरबर्ग ने नसीहत दी है। रैंडी ने कहा है कि वे अपने बच्चों को मोबाइल से दूर रखती हैं। वर्चुअल वर्ल्ड बच्चों की परवरिश में सबसे बड़ी बाधा है। उनका कहना है कि एक मां होने के नाते सभी के लिए ये जरूरी है कि वे अपने बच्चों के स्क्रीन टाइम पर नजर रखें। ये देखें कि उनका बच्चा मोबाइल या लैपटॉप पर जरूरत से ज्यादा समय तो नहीं बिता रहा है।
रैंडी जकरबर्ग बच्चों को रीयल वर्ल्ड में रखने की बात कर रही हैं। जकरबर्ग मीडिया CEO रैंडी कहती हैं- छोटे बच्चों को टेक्नोलॉजी और गैजेट से दूर रखने की जरूरत है। बच्चों की पैरेंटिंग इस तरह की जानी चाहिए कि वे अपनी आसपास की दुनिया को बेहतर समझें, न कि सोशल मीडिया को। बच्चों की परवरिश में टेक्नोलॉजी घातक होती है। रैंडी जकरबर्ग का एक बेटा और दो बेटियां हैं।
लड़कियों को टेक्नोलॉजी से रू-ब-रू करवाएं
हाल ही में सिंगापुर में क्रेडिट स्वीस ग्लोबल सुपरट्रेंड्स कॉन्फ्रेंस में बच्चों के लिए तकनीक से जुड़े खतरों पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि आम मां-बाप की तरह टेक इंडस्ट्री से जुड़े व्यवसायी भी बच्चों को टेक गैजेट से दूर रखने के पक्षधर हैं। इसके अलावा रैंडी का मानना है कि लड़कियों को लड़कों से ज्यादा टेक्नोलॉजी से रू-ब-रू करवाने की जरूरत है, क्योंकि लड़के तो गेमिंग के जरिए तकनीक समझ जाते हैं, पर लड़कियां पीछे रह जाती हैं। रैंडी ने कहा कि बच्चों को सोशल मीडिया पर अनुमति देने से पहले ये ध्यान रखें कि उनके बच्चे ज्यादा समय तक ऑन स्क्रीन नहीं रहें।
हर 7 मिनट में एक बच्चा हिंसा का शिकार
सेंटर फॉर काउंटरिंग डिजिटल हेट (CCDH) की रिपोर्ट के मुताबिक, हर सात मिनट में एक बच्चा फेसबुक के मेटावर्स पर सेक्सुअल अब्यूज या बुलीईंग का शिकार होता है। सीसीडीएच के सीईओ इमरान अहमद कहते हैं कि सोशल मीडिया से टीनएजर्स की मेंटल हेल्थ पर बुरा असर पड़ता है। मेटावर्स से ये आशंका बढ़ जाती है क्योंकि यहां हर चीज एकदम वास्तविक प्रतीत होती है।
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