लेखक : जूलियन रयाल
उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन ने दक्षिण कोरिया की लोकतांत्रिक सरकार के तख्तापलट के लिए डबल क्रॉस साजिश रची है। इसके तहत उत्तर कोरिया के जासूसों को घुसपैठिया बना कर दक्षिण कोरिया में भेजा जाता है।
उत्तर कोरियाई जासूस खुद को घुसपैठिया, शरणार्थी अथवा किम का विरोधी बताकर खुद को गिरफ्तार कराते हैं। दक्षिण कोरियाई जेलों में कैद होने पर वे वहां से नेटवर्क चलाते हैं। दक्षिण कोरिया इन कैदियों को खुद का हितैषी मानता है लेकिन ये असल में किम के जासूस हैं। ये किम का दक्षिण कोरिया की लोकतांत्रिक सरकार के तख्तापलट का बड़ा गेम प्लान है।
तानाशाह के मंसूबे क्या?
उसके मंसूबे हैं कि उत्तर कोरिया की ओर से हमले की स्थिति में ये जासूस जेलों में विद्रोह कर अराजकता पैदा करेंगे। द. कोरिया ने हाल में बड़ी कार्रवाई कर इन जासूसों का पर्दाफाश किया। खुफिया पुलिस ने सिओल में लेफ्ट समर्थित कोरियन ट्रेड यूनियंस (केसीटीयू) के मुख्यालय पर छापा मारा। केसीटीयू के एक नेता पर भी कार्रवाई की गई। ये यूनियन उ. कोरिया के राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के काम में लगी थी। ये नेता जेजु आईलैंड के थे।
अधिकारियों का कहना है कि संदिग्ध ने 2017 में कंबोडिया की यात्रा की थी जहां उसकी मुलाकात उत्तर कोरिया की जासूसी एजेंसी के मुखौटा संगठन के अधिकारी से हुई थी। उसे लोगों की भर्ती कर नेटवर्क खड़ा करने और गुप्त संदेश भेजने और प्राप्त करने की ट्रेनिंग दी गई थी।
तानाशाह जोंग के 50 हजार जासूस होने का संदेह
कोरियन इंस्टीट्यूट ऑफ लिबरल डेमोक्रेसी के अनुसार 2011-17 के बीच जासूसी के 26 मामले पकड़े गए लेकिन 2017 से 2020 के दौरान केवल 3 मामले सामने आए। एक अफसर के मुताबिक 50 हजार एजेंट काम कर रहे हैं।
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