हिमालय में तेजी से पिघलते ग्लेशियर की वजह से वहां झीलों की संख्या और उनमें पानी का स्तर बढ़ रहा है। इतना ही नहीं, ये झीलें अपना आकार भी बढ़ा रही है, जिससे बाढ़ का खतरा बढ़ा है। ज्यादा खतरा उन इलाकों को है, जो नदियों के मुहानों पर बसे हुए हैं। ब्रिटेन, ऑस्ट्रिया और पेरू समेत दुनिया भर की विभिन्न यूनिवर्सिटीज के वैज्ञानिकों ने एक गहन अध्ययन के आधार पर यह चेतावनी दी है। इनमें नेपाल, चीन और भारत में भी एक बड़ी आबादी को इन झीलों से पैदा होने वाली बाढ़ के खतरे से आगाह किया गया है।
वैज्ञानिकों के मुताबिक 30 साल में दुनिया भर में ऐसी झीलों की संख्या 50% तक बढ़ गई है। वैज्ञानिकों ने रिमोट सेंसिंग और सैटेलाइट के जरिए इन तीन देशों में ऐसी करीब 3,624 ग्लेशियल लेक्स यानी ग्लेशियर पिघलने से बनने वाली झीलों का पता लगाया है। इनमें सबसे ज्यादा 2,070 झीलें नेपाल में हैं, जो कोशी, गंडकी और कर्णाली नदी बेसिन के पास बसी आबादी के लिए खतरा बन सकती हैं। चीन में ऐसी 1,509 जबकि भारत में 45 झीलों का पता लगाया गया है। चीन और भारत में ये झीलें तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में बनी हुई हैं।
एक्सटर यूनिवर्सिटी में क्लाइमेट चेंज के विशेषज्ञ प्रो. स्टीफन हैरिसन कहते हैं, ‘कुछ झीलें बेहद खतरनाक स्तर पर हैं, जिनका अंदाजा लगाना कठिन है। ये कभी भी फूट सकती हैं। एडीज और हिमालय पर्वत श्रृंखला में इसका खतरा ज्यादा है।’
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