धरती के भगवान कहे जाने वाले डॉक्टरों के पेशे में हार्ट सर्जन को बड़े सम्मान से देखा जाता है। 1940-60 के दशक से मेडिसिन की दुनिया में शुरू हुई उनकी यह श्रेष्ठता लगातार बनी रही। लेकिन अब ये पारंपरिक हार्ट सर्जन बेरोजगार हो रहे हैं।
दरअसल, अब दिल के ऑपरेशन AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) के जरिए होने लगे हैं। इसलिए अब उन्हीं हार्ट सर्जन के पास काम है, जिन्होंने इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी (AI टूल के जरिए होने वाले ऑपरेशन) में विशेषज्ञता हासिल कर ली है।
नई तकनीक में माहिर डॉक्टरों को ही मिलेगा काम
जहां पहले हार्ट के ऑपरेशन में डॉक्टरों की पूरी टीम की जरूरत पड़ती थी, अब डॉक्टर अकेले ही AI के जरिए पूरा ऑपरेशन कर लेते हैं। यही वजह है कि ब्रिटेन और अमेरिका में हार्ट सर्जन की संख्या तो कम नहीं हो रही, लेकिन उनके पास काम कम हो गया है। आने वाले समय में उनके पास ही काम होगा, जो नई तकनीकों के अनुसार खुद को अपडेट कर सकेंगे।
कुछ सालों में खत्म हो जाएंगे कार्डियक सर्जन
ऑक्सफोर्ड में जॉन रैडक्लिफ अस्पताल के रिटायर्ड हार्ट सर्जन स्टीफेन वेस्टबाय कहते हैं- दिल के मरीजों के लिए इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी बहुत अच्छी है। दिल, दिमाग और किडनी के ऑपरेशन में बाइपास में लगने वाला समय जितना ज्यादा होता है, मरीज का रिस्क उतना बढ़ता जाता है। AI यह काम कम समय में कम रिस्क के साथ कर देती है। डॉक्टरों का काम ही खत्म हो गया है। कंसल्टेंट सर्जन डिंसर आकतुअर्क कहते हैं- अगले कुछ साल में दुनिया से पारंपरिक कार्डियक सर्जन खत्म हो जाएंगे।
AI से आसान हुईं कई सर्जरी
‘हिस्ट्री ऑफ हार्ट सर्जरी’ किताब के लेखक थॉमस मॉरिस कहते हैं- 1970 में दिल के ऑपरेशन की सर्जरी में मृत्यु दर 25% तक पहुंच गई थी। AI की वजह से मेडिकल की दुनिया में कई चीजें संभव हो सकी हैं, जो पहले बहुत मुश्किल थीं, जैसे वजन घटाने के लिए बेरियाट्रिक सर्जरी आसान हुई है।
कैंसर के कई ट्रीटमेंट अब संभव हो सके हैं। सर्जरी अब भी आसान नहीं है, लेकिन अब आम हो गई है। ब्रिटेन में कोरोनरी ऑर्टरी बाइपास सर्जरी हर साल 14 हजार से ज्यादा तो अमेरिका में यह 2 लाख से भी ज्यादा हो रही है।
दवा और लाइफस्टाइल में बदलाव स्टेंट या बाइपास सर्जरी जितनी प्रभावी
कई अध्ययनों से पता चला है कि दवा और लाइफस्टाइल में बदलाव से दिल की बीमारियों का इलाज उतना ही प्रभावी है, जितनी कि स्टेंट या बाईपास सर्जरी। बार्ट्स में कार्डियोलॉजिस्ट एंथनी माथुर कहते हैं- सर्जन और कार्डियोलॉजिस्ट की प्रवृत्ति अपनी ट्रेनिंग का पूरा इस्तेमाल करने की होती है। इसलिए वे हमेशा ऑपरेशन ही करना चाहते हैं।
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