भारतीय स्टूडेंट्स का ब्रिटेन में उच्च शिक्षा पाने का सपना बिखर रहा है। बढ़ती महंगाई के कारण लगभग साढ़े 4 लाख भारतीय स्टूडेंट्स में से एक चौथाई पर ड्रॉप आउट का खतरा बढ़ रहा है। लगभग 1.27 लाख स्टूडेंट्स पिछले साल ही ब्रिटेन में आए थे। दैनिक भास्कर से बातचीत में कई भारतीय स्टूडेंट्स ने कहा कि वे एक वक्त का खाना नहीं खा रहे हैं।
मिडिल क्लास परिवारों के कई स्टूडेंट लोन लेकर ब्रिटेन आए भारतीय छात्रों ने बताया कि दो टाइम का खाना मुश्किल हो गया है, इसलिए वे वन टाइम ‘बिग मील’ खाते हैं।
33 फीसदी स्टूडेंट्स एक वक्त का खाना खा रहे
सितंबर, 2022 के बाद मिडिल क्लास परिवारों से ताल्लुक रखने वाले 33 फीसदी स्टूडेंट्स एक वक्त का खाना खा रहे हैं। 63 फीसदी छात्र खाने और अन्य जरूरी सामान की खरीद में कटौती कर रहे हैं। सटन ट्रस्ट के सर्वे में सामने आया कि कई भारतीय स्टूडेंट्स कॉलेज-यूनिवर्सिटी की क्लास छोड़ कर पार्ट टाइम जॉब कर रहे हैं।
मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले तीन छात्रों ने बताया कि उन्हें यूनिवर्सिटी की ओर से मेंटेनेंस लोन भी मिलता है लेकिन ये भी नाकाफी साबित हो रहा है। 43% स्टूडेंट्स ने बिजली-गैस के बिलों में भी कटौती कर ली है। 47 फीसदी स्टूडेंट्स ने घूमना-फिरना भी बंद कर दिया है।
सुनक सरकार से राहत की उम्मीद
लेबर पार्टी के वरिष्ठ नेता मैट वेस्टर्न ने दैनिक भास्कर से बातचीत में कहा कि प्रवासी छात्रों को महंगाई से राहत देने के लिए सुनक सरकार को प्रयास करने होंगे। सटन ट्रस्ट के अध्यक्ष सर पीटर लैम्पल ने कहा कि प्रवासी स्टूडेंट्स को दो वक्त का खाना भी मुश्किल होना चौंकाने वाला है।
पढ़ाई के बाद 6 महीने में जॉब नहीं मिलना जरूरी
अब सुनक सरकार प्रवासी स्टूडेंट्स के लिए हर हफ्ते काम के घंटे बढ़ाकर 30 घंटे करने पर विचार कर रही है। इस पर भी ब्रिटेन सरकार के कड़े नियम स्टूडेंट्स की परेशानी को और बढ़ा रहे हैं। ब्रिटेन में पढ़ाई पूरी होने के बाद यदि स्टूडेंट्स को छह महीने के भीतर जॉब नहीं मिलती है तो उन्हें उनके देश वापस भेज दिया जाता है।
स्टूडेंट्स घर से और पैसे मंगवा रहे
आधे से ज्यादा स्टूडेंट्स भारत में अपने घरों से पैसे मंगवा रहे हैं। सर्वे से पता चला कि मिडिल क्लास के इन स्टूडेंट्स ने यहां पार्ट टाइम जॉब कर रोजमर्रा का खर्च उठाने का सोचा था, पर पार्ट टाइम जॉब से भी खर्च नहीं निकल पा रहा है।
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