गंभीर अवसाद झेल रही कैरोलिना एस्कुडेरो कोरोना के दौर में डॉक्टर के पास नहीं जाना चाहती थीं, इसलिए चर्चित मेंटल हेल्थ थेरेपी एप बेटरहेल्प से जुड़ गईं। उन्होंने हर हफ्ते 5 हजार रुपए दिए, पर ज्यादातर वक्त काउंसलर के जवाब के इंतजार में बीता। महीनेभर में सिर्फ दो बार प्रतिक्रिया मिली।
एस्कुडोरो बताती हैं, यह उस व्यक्ति को अपनी बात कहने जैसा था, जिसे पता ही नहीं है कि मानसिक समस्या से कैसे निपटना है। एस्कुडेरो अकेली नहीं हैं, कोरोना के दौर में लाखों लोगों ने मानसिक सेहत संबंधी चुनौती झेली। लैंसेट के मुताबिक 2020 में अवसाद व चिंता की घटनाएं दुनियाभर में 25% बढ़ गईं। इसलिए मेंटल हेल्थ एप भी तेजी से बढ़े।
अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन के मुताबिक ऐसे 10-20 हजार एप हैं। पर बड़ा खतरा यह है कि यूजर्स की प्राइवेसी को नजरअंदाज किया जा रहा है। यह भी जांचा नहीं जा रहा कि ये एप काम कर रहे हैं या नहीं। जैसे फिनलैंड के स्टार्टअप वस्तामो को हैक करने के बाद हैकर्स ने करीब 30 हजार मरीजों से बिटकॉइन मांगे। ऐसा नहीं करने पर उन्होंने कुछ यूजर्स के विवाहेतर संबंधों के जानकारी और बाल शोषण के मामले डार्क वेब पर उजागर करने की धमकी दी।
इस घटना के बाद लोग डॉक्टर्स से निजी जानकारियां साझा करने से बचने लगे हैं। 650 से ज्यादा मेंटल हेल्थ एप का रिव्यू करने वाले हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के जॉन टॉरस कहते हैं, भावनात्मक डेटा जमा करने का तय मानक नहीं है। कंपनियों की प्राइवेसी नीति कमजोर हैं। वो विज्ञापनदाताओं के साथ जानकारी साझा करती ही हैं। एक यूजर ने बताया कि बेटरहेल्प से जुड़ा तो मुझे उन शब्दों के साथ लक्षित एड दिखने लगे, जिनका जिक्र मैंने व्यक्तिगत अनुभवों को बताने में किया था।
डेटा फर्म सीबी इंसाइट्स के मुताबिक 2020 में मेंटल हेल्थ टेक कंपनियों ने 15 हजार करोड़ से ज्यादा जुटाए। सब्सक्रिप्शन आधारित मेडिटेशन एप हेडस्केप ने हाल में थेरेपी एप जिंजर को 23 हजार करोड़ रु. में खरीदा है। कंपनियां भी मेंटल हेल्थ को प्राथमिकता देने लगी हैं, ऐसे में लायरा जैसा एप दुनियाभर में 22 लाख यूजर्स की मदद कर रहा है। इसकी वैल्युएशन 35 हजार करोड़ रुपए हो गई है।
68% ब्रिटिश कंपनियां गुणवत्ता मानकों पर कमजोर, सख्ती करेगा यूरोप
ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस (एनएचएस) समेत हजारों एप्स का रिव्यू करने वाली संस्था ओरचा की फाउंडर लिज अशल पायने का कहना है कि 68% कंपनियां गुणवत्ता के मानकों को पूरा नहीं करती। उनका मानना है कि मेंटल हेल्थ एप्स को क्लिनिकल सुरक्षा के साथ अतिरिक्त मदद देने के लिए तैयार किया गया था, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है। यूरोपियन कमीशन भी इन हेल्थ एप का रिव्यू कर रहा है। जल्द ही वो नए मानक लागू करेगा, जो सभी हेल्थ एप पर अिनवार्य रूप से लागू होगा। इसमें पूरा फोकस यूजर की सुरक्षा और आसानी पर रहेगा।
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