रूस-यूक्रेन जंग 5 महीने से जारी है। यूक्रेनी शहर खंडहर में तबदील हो गए हैं। देश के इंफ्रास्ट्रक्चर को काफी नुकसान हुआ है। जंग के चलते दुनिया में खाद्य संकट पैदा हो गया। दुनिया को इस संकट से निकालने के लिए 23 जुलाई को रूस-यूक्रेन ने अनाज निर्यात समझौता किया। लेकिन रूस अपनी हरकतों से बाज नहीं आया। रूसी सेना ने समझौते पर साइन करने के 12 घंटे बाद ही ओडेसा के एक पोर्ट पर हमला कर दिया।
दरअसल, समझौते के तहत ये तय हुआ था कि रूसी सेना यूक्रेन के बंदरगाहों पर हमला नहीं करेगी। बावजूद इसके रूस ने ओडेसा पोर्ट पर मिसाइल से हमला कर दिया। यूक्रेन दुनिया में गेहूं का सबसे बड़े एक्सपोर्टर है। गेहूं के अलावा भी यूक्रेन अनाज, तेल और बीजों का निर्यात करता है। बंदरगाह शहर ओडेसा से माल की लदाई होती है।
ये हमला रूसी बर्बरता- जेलेंस्की
जंग के बाद से रूस ने ब्लैक सी के किनारे बसे बंदरगाह शहरों की नाकेबंदी कर दी थी। ग्रेन एक्सपोर्ट डील के बाद ब्लैक सी के रास्ते अनाज का निर्यात फिर से शुरू हुआ। अनाज की लदाई हो ही रही थी कि मिसाइल से हमला हो गया। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने इसे रूस की बर्बरता बताया है। उन्होंने कहा- रूस पर भरोसा नहीं किया जा सकता। ये सबूत है कि रूस जो वादे करता है, उन्हें निभाता नहीं है।
समझौते में क्या तय हुआ था
यूक्रेन के बंदरगाहों पर हमला नहीं करने के अलावा ये भी तय हुआ था कि तुर्की और संयुक्त राष्ट्र जहाजों का निरीक्षण करेंगे। इससे ये सुनिश्चित किया जा सकेगा की रूसी हथियार यूक्रेन नहीं लाए जा रहे हैं। वहीं, ब्लैक सी में फंसे अनाज से भरे जहाज तुरंत ही निर्यात के लिए वहां से निकाले जाएंगे।
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