पाकिस्तान में हाल में चीनी नागरिकों पर आत्मघाती हमले के बाद बलूच समुदाय पर दमन की कार्रवाई और तेज कर हो गई है। बलूच लोगों को सुरक्षा एजेंसियां अगवा कर रही हैं। बीते दिनों लाहौर पुलिस ने पंजाब यूनिवर्सिटी में छापा में मारा और होस्टल में रह रहे कुछ बलूच स्टूडेंट्स को अगवा कर लिया।
मानवाधिकार संगठन वॉयस फॉर बलूच मिसिंग पर्सन्स (VBMP) के एक अनुमान के मुताबिक तीन दशकों में 6,000 से अधिक लोगों को इस तरह अगवा किया गया है। उनके बारे में अब तक कोई पता नहीं चल पाया है। संस्था के मुताबिक 2009 से अब तक 1,400 बलूच लोगों के शव मिले हैं। एक अन्य एक्टिविस्ट मामा कादिर बताते हैं कि बीते दो साल में 287 बलूचों को अगवा किया गया।
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पाकिस्तान के बड़े शहरों में प्रदर्शन
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और लापता व्यक्तियों के रिश्तेदारों ने इसके लिए पाकिस्तान सेना और इंटर-सर्विस इंटेलिजेंस (ISI) पर आरोप लगाया है। इस कार्रवाई से बलूचों में और गुस्सा पनप रहा हैं। बलूचिस्तान स्टूडेंट्स काउंसिल के एक आह्वान पर स्टूडेंट्स लाहौर, कराची, फैसलाबाद और इस्लामाबाद सहित सभी बड़े शहरों में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
ये सभी बलूच स्टूडेंट्स के खिलाफ चल रहे अभियान को रोकने की मांग कर रहे हैं। बलूच स्टूडेंट्स यूनियन से जुड़े जहीर बलूच बताते हैं कि हमारा इन फिदायीन हमलों और आतंकी गतिवधियों से कोई लेना-देना नहीं है। दमन की कार्रवाई की वजह से हजारों स्टूडेंट्स ईद पर अपने घर नहीं लौट सके। सुरक्षा एजेंसियों को अगवा किए गए स्टूडेंट्स को तत्काल रिहा करना चाहिए। उनका कहना है कि 1980 के बाद से ही बलूचों पर दमन की कार्रवाई चल रही है।
सिंगापुर में अंतरराष्ट्रीय अध्ययन केंद्र एस. राजरत्नम स्कूल के एक वरिष्ठ फेलो रफैलो पंतुची कहते हैं कि हाल की घटना में शामिल महिला फिदायीन हमलावर से ये पता चलता है कि बलूचों में विरोध बहुत फैल गया है।
महीनों से अगवा स्टूडेंट्स की रिहाई के लिए विरोध-प्रदर्शन
कराची, क्वेटा, इस्लामाबाद और लाहौर में पिछले कई महीनों से अगवा स्टूडेंट्स की रिहाई के लिए बलूच स्टूडेंट्स धरने पर बैठे हैं। लेकिन पाक सरकार की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई है। एक मामले में क्वेटा का 24 वर्षीय शाहिद बलूच और उनका परिवार सो रहा था। सुरक्षा कर्मी रात को घर में आए और शाहिद को अगवा कर ले गए। बलूचों को आशंका है कि चीन उनके अस्तित्व को मिटाने पर तुला हुआ है
चीनियों पर हमले की वजह
बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) अलगाववादी विद्रोह को अंजाम दे रहा है, लेकिन वह चीनियों पर हमला क्यों कर रहा है? इसके कई कारण हैं। बलूच चीनी को पंजाबी प्रतिष्ठान के सूदखोर और उकसाने वाले के रूप में देखते हैं, जिस पर वे बलूच संस्कृति, भाषा और पहचान के अन्य तत्वों को दबाकर बलूच पहचान को नष्ट करने की कोशिश करने का आरोप लगाते हैं।
वे चीन के 62 अरब डॉलर के सीपैक निवेश को एक दमनकारी औपनिवेशिक परियोजना के रूप में देखते हैं जिसका उद्देश्य न केवल खनिजों और ग्वादर तटरेखा जैसे बलूच संसाधनों को अपनी समृद्ध क्षमता के साथ जोड़ना है, बल्कि क्षेत्र में जनसांख्यिकी को बदलना और उन्हें अपनी भूमि में अल्पसंख्यक बनाना है।
सीपैक के नाम पर चीन की मौजूदगी को बलूच लोग उनकी भूमि पर कब्जे के रूप में देखते हैं। चीनी नागरिकों पर बलूच हमलों को लेकर पाकिस्तान की नई शहबाज शरीफ सरकार पर संकट की स्थिति आ गई है।
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