नेपाल की राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (RSP) ने रविवार को पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड की सरकार से समर्थन वापस ले लिया। इससे नेपाल में फिर से राजनीतिक उठापटक शुरू हो गई है। गठबंधन में फूट पड़ने से कई मंत्रियों ने इस्तीफे की पेशकश कर दी है। इससे सरकार खतरे में आ गई है। पार्टी नेताओं के साथ बैठक के बाद RSP के अध्यक्ष रबि लामिछाने ने इसकी घोषणा की।
चौथी सबसे बड़ी पार्टी है RSP
2022 में नेपाल में हुए चुनाव में रबि लामिछाने की राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (RSP) चौथी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। उन्हें 20 सीटें मिली थी। इनके समर्थन से ही पुष्प कमल दहल और केपी ओली ने मिलकर सरकार बनाई थी।
हालांकि 28 जनवरी को नेपाल के सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले ने रबि लामिछाने को दोहरी नागरिकता मामले में दोषी ठहरा दिया था। इसके बाद उन्हें डिप्टी पीएम के पद से बर्खास्त कर दिया गया था। माना जा रहा है कि इसी मामले के कारण उन्होंने सरकार का साथ छोड़ने का फैसला लिया है।
क्या था रबि लामिछाने की नागरिकता का मामला
नेपाल की सुप्रीम कोर्ट ने 28 जनवरी नेपाल के डिप्टी प्राइम मिनिस्टर रबि लामिछाने को दोहरी नागरिकता के मामले में दोषी माना था। कोर्ट ने सांसद के तौर पर उनकी सदस्यता और चुनाव को रद्द करने का फैसला सुनाया था। इसके बाद उन्हें डिप्टी पीएम और गृहमंत्री पद छोड़ना पड़ा। लामिछाने पर आरोप थे कि उनके पास नेपाल के अलावा अमेरिका की भी नागरिकता है।
नेपाल में दोहरी नागरिकता को गैर कानूनी माना जाता है। लामिछाने पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने अमेरिकी नागरिकता छोड़े बिना ही नेपाली पासपोर्ट हासिल किया। पहले नेपाली नागरिक रहे रबि लामिछाने ने अमेरिका का ग्रीन कार्ड लिया था।
अमेरिकी नागरिक की हैसियत से ही नेपाल वापस आए थे और खारिज हुई नेपाली नागरिकता के आधार पर नेपाली पासपोर्ट हासिल कर लिया था। जबकि नेपाल में नियम है कि दोबारा नेपाली नागरिकता प्राप्त करने के लिए जिला प्रशासन में अर्जी देनी पड़ती है।
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23 दिसंबर को चीन के एक बड़े अधिकारी ‘वांग शिन’ की मुलाकात नेपाल की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी सीपीएन (UML) के प्रमुख केपी ओली और माओवाद सेंट्रल के प्रमुख पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ से हुई। इस मुलाकात के 24 घंटे बाद ही नेपाल में नई सरकार बन गई। इस सरकार के प्रधानमंत्री बने- पुष्प कमल दहल प्रचंड। वही प्रचंड जिसने 2008 में पहली बार प्रधानमंत्री बनने के साथ ही पशुपति मंदिर से भारतीय पुजारियों को निकलवा दिया था। इसके बाद भारत और नेपाल के रिश्ते में दरार आ गई थी। पूरी खबर यहां पढ़ें..
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