रूस, चीन और ईरान गल्फ ऑफ ओमान में जॉइंट नेवल एक्सरसाइज कर रहे हैं। 15-19 मार्च तक चलने वाली इस एक्सरसाइज को लेकर चीन के रक्षा मंत्रालय ने कहा- ये अभ्यास तीनों देशों की नौसेनाओं के बीच सहयोग बढ़ाने का काम करेगा। साथ ही इससे इलाके में शांति और स्थिरता बनाने में भी मदद मिलेगी।
चीन ने कहा कि सिक्योरिटी बॉन्ड-2023 के तहत कई दूसरे देश भी जॉइंट एक्सरसाइज में शामिल होंगे। हालांकि, इसमें किसी देश का नाम सामने नहीं आया है। गल्फ ऑफ ओमान के किनारे ईरान, पाकिस्तान, ओमान और UAE के तट हैं जो पर्शियन गल्फ के बिल्कुल नजदीक है।
गैर-लड़ाकू अभियानों पर फोकस
इस जॉइंट एकसरसाइज का मेन फोकस सर्च-रेस्क्यू मिशन के साथ गैर-लड़ाकू अभियानों पर रहेगा। अभ्यास के लिए चीन ने अपने गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर नाननिंग को भेजा है। चीन का एकमात्र नौसैनिक घाट वाले फॉरेन मिलिट्री बेस अफ्रीका के जिबूती देश में मौजूद है जो गल्फ ऑफ ओमान के पास है।
अमेरिका ने कहा- ये चिंता का विषय नहीं
वहीं इस नौसैनिक अभ्यास को लेकर अमेरिका की नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा- हम इस एक्सरसाइज पर नजर बनाए हुए हैं। इस अभ्यास से अमेरिका या सहयोगी देशों को कोई खतरा नहीं होना चाहिए। ये चिंता का विषय नहीं है। रूस और चीन पहले भी कई बार जॉइंट ट्रेनिंग कर चुके हैं।
2019 में भी की थी जॉइंट एक्सरसाइज
इससे पहले ईरान, चीन और रूस ने 2019 में भी नौसैनिक अभ्यास किया था। गल्फ ऑफ ओमान में ये एक्सरसाइज 4 दिन तक चली थी। अभ्यास को लेकर ईरान के वरिष्ठ सैन्य कमांडर गुलाम रजा तहानी ने कहा था कि इसका मकसद दुनिया को ये मैसेज देना है कि ईरान को अलग-थलग नहीं किया जा सकता है। अमेरिका ने मई 2018 में ईरान के साथ परमाणु समझौते से खुद को अलग कर लिया था।
चीन-अमेरिका में लगातार बढ़ रहा तनाव
दूसरी तरफ, रूस-यूक्रेन जंग शुरू होने के बाद अमेरिका और चीन के बीच भी तनाव लगातार बढ़ रहा है। अमेरिका ने कई बार रूस-चीन की बढ़ती नजदीकी का विरोध किया है। वहीं रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन चीन और ईरान के साथ राजनीतिक, आर्थिक और सैन्य संबंधों को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। इस दौरान पश्चिमी देशों ने रूस पर कई प्रतिबंध भी लगाएं हैं, जिसको चीन ने वापस लेने की बात कही थी। वहीं अमेरिका में दिखे स्पाई बैलून को लेकर भी US-चीन में तनाव बढ़ गया था।
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