पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अमेरिकी जर्नलिस्ट डेनियल पर्ल की हत्या के मुख्य आरोपी उमर सईद शेख को रिहा करने का आदेश दिया। कोर्ट ने सिंध सरकार की ओर से रिहाई के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी। भारत ने इस फैसले को न्याय के साथ मजाक बताया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि यह मामला पाकिस्तान के आतंकवाद से निपटने के इरादे को दिखाता है।
द वॉल स्ट्रीट जर्नल के जर्नलिस्ट पर्ल की 2002 में अपहरण के बाद हत्या कर दी गई थी। वह दक्षिण एशिया ब्यूरो के चीफ थे और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI और अल-कायदा के बीच रिश्ते पर स्टोरी कर रहे थे। इसी दौरान उनका अपहरण कर लिया गया था। डेनियल पर्ल का सिर कलम करने का वीडियो बनाकर अमेरिका के दूतावास में भेजा गया था। इस मामले में शेख को 2002 में ही गिरफ्तार किया गया था। ट्रायल कोर्ट ने उसे मौत की सजा सुनाई थी।
भारत ने कहा- पाकिस्तान के इरादे उजागर
विदेश मंत्रालय के स्पोक्सपर्सन अनुराग श्रीवास्तव से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में आतंक के मामलों में पहले भी बहुत कम सजा दी जाती रही है। आतंक के इस बर्बर मामले में उमर को किसी भी आरोप में दोषी न पाया जाना बड़ी भूल है।
उमर शेख 1999 में अगवा किए भारतीय विमान के 150 यात्रियों को छोड़ने के बदले रिहा किए गए तीन आतंकवादियों में से एक है। पर्ल हत्याकांड में हाईकोर्ट ने बीते 2 अप्रैल को उसकी मौत की सजा को सात साल की जेल में बदल दिया था। साथ ही इसी मामले में उम्रकैद काट रहे तीन लोगों को रिहा कर दिया था।
पहले हाई कोर्ट ने दिए थे रिहाई के आदेश
इसके बावजूद सिंध प्रदेश की सरकार ने चारों को हिरासत में ले लिया था। हाईकोर्ट ने 24 दिसंबर, 2020 को सरकार के फैसले को गलत ठहराते हुए आरोपियों की तत्काल रिहाई के आदेश दिए। सिंध सरकार ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। अमेरिका ने इस आदेश पर गहरी चिंता जाहिर की थी। उसने कहा था कि यह बहुत गंभीर मामला है और इसे सहन नहीं किया जा सकता।
चारों आरोपियों ने 18 साल जेल में बिताए
पर्ल की हत्या के सिलसिले में चार आतंकियों अहमद उमर शेख, फहद नसीम, शेख आदिल और सलमान साकिब को गिरफ्तार किया गया था। ये सभी कथित तौर पर 18 साल से जेल में थे। डॉन अखबार के मुताबिक, शेख ने दावा किया था कि 19 साल पहले हुई इस हत्या उसने बहुत छोटी भूमिका निभाई थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को यह फैसला सुनाया। तीन जजों में से सिर्फ एक ने शेख को रिहा करने का विरोध किया।
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