पाकिस्तान में हालात बदतर हैं। महंगाई दर रिकॉर्ड 29% पर है। आटा जैसी जरूरी चीजों का संकट है। इस बीच, पाकिस्तानी कारोबारियों, उद्योगपतियों और चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के सदस्यों ने शहबाज सरकार से आग्रह किया है कि वो भारत के साथ कारोबार बहाल करे। यही वक्त का तकाजा भी है।
सदस्यों का कहना है कि देश में दूरदराज के क्षेत्रों में गरीबों का पेट भरना है, तो भारत से गेहूं मंगाना चाहिए। पाकिस्तान के राजनीतिक और कूटनीतिक स्तर पर इस समय भारत से रिश्ते अच्छे नहीं है, पर भारत के गेहूं से संकट से उबरने में मदद मिलेगी।
गेहूं उत्पादन बाढ़ से प्रभावित हुआ
इस्लामाबाद चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के कार्यवाहक अध्यक्ष फहद हुसैन ने भास्कर से कहा कि पाकिस्तान को गेहूं उत्पादन विनाशकारी बाढ़ से प्रभावित हुआ है। ऐसे में भारत सहित पड़ोसी देशों से गेहूं आयात करके इस संकट से निपट सकते हैं। फहाद ने कहा कि देश में आम आदमी की कमाई इतनी नहीं है कि वह आटा जैसी बुनियादी चीज भी खरीद सके।
फहाद ने कहा हमने इस्लामाबाद के स्तर पर तो संकट दूर कर लिया है, लेकिन सिंध, खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान जैसे दूर-दराज के प्रांतों में आटे का संकट कायम है। बुरे वक्त में पड़ोस से मदद लेने के लिए सरकार को आगे आना चाहिए।
उन्होंने कहा कि रूस या अन्य देशों की बजाय भारत से गेहूं मंगवाना बेहतर विकल्प होगा, क्योंकि भारतीय गेहूं का स्वाद पाकिस्तान जैसा ही है। सीमाएं जुड़ी होने से बहुत कम खर्च में आयात हो सकेगा। सरकार भारत से कारोबारी नीति की समीक्षा तुरंत करे।
पाकिस्तान में आटे को लेकर हिंसक विरोध-प्रदर्शन
पाकिस्तान इतिहास के सबसे बड़े खाद्य संकट का सामना कर रहा है। पंजाब, खैबर पख्तूनख्वा, सिंध और बलूचिस्तान प्रांतों में 10 किलो आटा 3,000 पाकिस्तानी रुपए में बिक रहा है। आटे की कमी के चलते हिंसक विरोध-प्रदर्शन हुए हैं। लोग गेहूं की बोरियों के लिए लड़ रहे हैं।
सरकार से सरकार के बीच हो गेहूं का सौदा
कृषि विशेषज्ञ अमजिद हुसैन का कहना है कि भारत से अनाज निर्यात करने में कोई नुकसान नहीं होगा। भारत सरकार ने केवल निजी निर्यात पर प्रतिबंध लगाया है, लेकिन सरकार से सरकार का सौदा जारी है। बांग्लादेश, श्रीलंका और मालदीव को भारत से गेहूं मिल ही रहा है।
25 लाख टन गेहूं चाहिए, वर्ना स्थिति विकराल
हुसैन का कहना है कि गेहूं नियमम भी होना चाहिए। निजी क्षेत्र से 37 लाख टन और सार्वजनिक क्षेत्र से सरकार 98 लाख टन तक गेहूं खरीदे। आज के हालात में 25 लाख टन गेहूं मंगाना होगा। ऐसे में भारत सबसे बेहतर रहेगा। ऐसा नहीं होता तो देश में संकट विकराल होगा।
इमरान खान के दौर में जमाखोरी से बढ़ी कीमतें
गेहूं का संकट इमरान खान की पीटीआई सरकार के कार्यकाल के दौरान शुरू हो गया था, जब बिचौलियों और जमाखोरों ने कीमतों को बढ़ाने के लिए इसे स्टॉक कर लिया था। अफगानिस्तान में बड़े पैमाने पर तस्करी से गेहूं बाजार से गायब हो गया था।
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