पाकिस्तान के गिलगिट-बाल्टिस्तान इलाके में बढ़ते प्रदूषण से नदियों और झीलों को नुकसान पहुंच रहा है। इसकी वजह चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) है। ग्लोबल ऑर्डर की रिपोर्ट के मुताबिक आधे पाकिस्तान में पीने और सिंचाई के पानी की सप्लाई इसी इलाके से होती है, लेकिन तेजी से बढ़ रहा प्रदूषण यहां से होने वाली पानी की सप्लाई को प्रभावित करेगा।
इमरान खान इसे गेमचेंजर समझते थे
CPEC की आढ़ में पाकिस्तान और चीन मेगा-डैम, तेल-गैस पाइपलाइन और यूरेनियम निकालने जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे हैं। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान CPEC को पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए गेमचेंजर समझते थे, लेकिन इन प्रोजेक्ट्स से होने वाले पर्यावरण प्रदूषण अब चिंता बढ़ा रहा है। जिसे नजर अंदाज किया जा रहा है।
पाकिस्तान में पड़ सकता है सूखा
वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट में कहा गया कि इस शताब्दी के अंत तक पाकिस्तान में क्लाइमेट चेंज से एक तिहाई ग्लेशियर खत्म हो जाएंगे। अगर जल्द ही सख्त कदम न उठाए गए तो पाकिस्तान में सूखा भी पड़ सकता है।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि पिघलती बर्फ की चादर से नई बीमारियां जन्म लेंगी। यूनाइटेड नेशंस का दावा है कि आने वाले 30 साल में 3 लाख से ज्यादा पाकिस्तानी महामारियों के शिकार हो जाएंगे।
पाकिस्तान आर्मी चीन की कंपनियों को दिला रही जमीन
दैमर, शिगार, गिलगिट और हुंजा में स्थानीय लोगों से जमीने लेकर चीन की कंपनियों को दे दी गई। जमीन के इस व्यापार में पाकिस्तानी सेना प्रमुख भूमिका निभा रही। सेना ने CPEC के एक प्रोजेक्ट के लिए कुछ लोगों के घरों पर बुलडोजर चढ़ा दिए। वहीं इसके खिलाफ आवाज उठाने वाले लोगों पर पाकिस्तानी सेना कार्रवाई कर रही है।
इमरान खान की पेड़ लगाने की मुहिम बेअसर
एक्सपर्ट्स के मुताबिक पर्यावरण में बदलाव का मुख्य कारण डीफोरेस्टशन है। खैबर-पख्तूनख्वा इलाके में जंगल की जमीन चीन के हाइड्रो-इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट के लिए दे दी गई। डीफोरेस्टशन से होने वाले नुकसान को पेड़ लगा के कम किया जा सकता है, लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान का 1 हजार करोड़ पेड़ लगाने की मुहिम भी इसमें असरदार नहीं साबित हुई।
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