गल्फ कंट्रीज के भरोसे पाकिस्तान:सऊदी, UAE और कतर दिला सकते हैं IMF से कर्ज, ये ही तीन देश महीनों से चुप

इस्लामाबाद14 दिन पहले
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सऊदी क्राउन प्रिंस और प्रधानमंत्री सलमान के साथ शाहबाज शरीफ (फाइल)

इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) पाकिस्तान को 1.2 अरब डॉलर की किश्त जारी करने के लिए तैयार नहीं हैं। इस वर्ल्ड बॉडी में अमेरिका का दबदबा जरूर है, लेकिन तीन गल्फ कंट्रीज भी पाकिस्तान की मदद कर सकते हैं, क्योंकि वो भी IMF बोर्ड में शामिल हैं।

बहरहाल, ये तीनों ही देश कई महीनों के पाकिस्तान के हक में बोलने को तैयार नहीं हैं। अब पाकिस्तान की आखिरी उम्मीद इन्हीं देशों पर टिकी है। फिलहाल, यही पाकिस्तान को दिवालिया होने से बचा सकते हैं।

अब दूसरा विकल्प भी नहीं

  • पाकिस्तान का फॉरेक्स रिजर्व 2 अरब डॉलर से भी नीचे चला गया है। ये पैसा भी सऊदी और UAE का है। मुल्क को दिवालिया होने से बचाने के लिए कम से कम 6 अरब डॉलर की फौरन जरूरत है। IMF से 12 दौर की बातचीत के बाद भी 1.2 अरब डॉलर की किश्त नहीं मिल पा रही।
  • पाकिस्तानी अखबार ‘द न्यूज इंटरनेशनल’ ने देश के आला अफसरों से बातचीत के बाद एक रिपोर्ट पब्लिश की। इसके मुताबिक- पाकिस्तान को डिफॉल्ट से बचाने के लिए IMF का पैसा और भरोसा दोनों चाहिए। इसमें सऊदी अरब, यूएई और कतर मदद कर सकते हैं। इन देशों ने कई महीने पहले फॉरेन रिजर्व में कुछ अरब डॉलर डालने की बात कही थी, इंतजार करते-करते थक चुके हैं, ये पैसा अब तक नहीं मिला।
  • रिपोर्ट के मुताबिक- ये तीनों ही खाड़ी देश IMF के रिव्यू मिशन और बोर्ड मेंबर हैं। पिछले साल अगस्त से ये मदद का भरोसा दिला रहे हैं, लेकिन अब तक एक पैसा भी पाकिस्तान को नहीं मिला।

पाकिस्तान को क्यों परेशान कर रहे गल्फ कंट्री

  • रिपोर्ट में आगे कहा गया- IMF ने गेंद अब पाकिस्तान के पाले में डाल दी है। वो साफ कह रहा है कि पहले अपने सहयोगी देशों (चीन, सऊदी, यूएई और कतर) से 100% गारंटी दिलाइए, इसके बाद किश्त जारी की जाएगी।
  • दूसरी तरफ, ये देश कुछ और ही सोच रखते हैं। चारों ही देश अपने पैसे की गारंटी चाहते हैं। इसके लिए उनकी शर्त है कि पाकिस्तान सरकार पहले IMF से गारंटी दिलाए। मतलब साफ है कि दोनों ही पक्षों ने पाकिस्तान को जबरदस्त उलझा दिया है।
  • चीन ने 2 अरब डॉलर का लोन रोल ओवर किया। यानी इसकी वसूली कुछ वक्त के लिए टाल दी। इसके बाद 500 मिलियन डॉलर कर्ज और भी दे दिया, लेकिन ये ऊंट के मुंह में जीरा समान है। IMF और दूसरे देशों के लिए फिक्र की एक बहुत बड़ी वजह पाकिस्तान पर चीन का कर्ज है। दरअसल, पाकिस्तान ने चीन के प्राइवेट बैंकों से भी पैसा लिया है। इसकी शर्तें और ब्याज दर टॉप सीक्रेट है।
  • पाकिस्तान की मुश्किल ये है कि अगर वो IMF और दूसरे देशों को यह शर्तें बता देता है तो चीन नाराज हो जाएगा और अगर शर्तें नहीं बताता तो IMF और दूसरे देश कर्ज नहीं देंगे।

प्रधानमंत्री की अपील भी काम नहीं आई

  • 5 जनवरी 2023 को 'द गार्डियन' में लिखे एक लेख में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने दुनिया भर के देशों से मदद की अपील की थी। फाइनेंस मिनिस्ट ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया था कि सऊदी अरब से कुछ दिनों में पैसे मिलेंगे। इसके ठीक बाद सऊदी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने पाकिस्तान में 10 अरब डॉलर के निवेश पर विचार करने के लिए कहा।
  • पाकिस्तान का सेना प्रमुख बनने के डेढ़ महीने बाद ही जनरल सैयद असीम मुनीर 5 जनवरी 2023 को सऊदी अरब के दौरे पर गए। इससे पहले मई 2022 में सऊदी अरब गए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को सऊदी से कुल 8 अरब डॉलर का राहत पैकेज लेने में कामयाबी हासिल हुई थी। इस समय सऊदी अरब ने पाकिस्तान को तेल के लिए दी जाने वाली वित्तीय राहत को भी दोगुना करने का वादा किया था।
  • अगस्त 2018 में इमरान खान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने थे। इसके बाद पहले ही महीने वह सऊदी अरब के दौरे पर गए थे। इमरान खान ने करीब 4 साल के कार्यकाल में कुल 32 विदेश यात्राएं कीं, इनमें 8 बार वो सऊदी अरब गए थे।

सऊदी अरब हर मुश्किल घड़ी में पाकिस्तान की मदद क्यों करता है?

  • 1979 में जब इस्लामिक क्रांति की शुरुआत हुई तो इसका केंद्र ईरान था। ईरान के शिया बहुल देश होने की वजह से सऊदी अरब इस क्रांति से बेहद डरा हुआ था। इसे काउंटर करने के लिए सऊदी अरब ने पाकिस्तान, भारत समेत सुन्नी मुस्लिम वाले देशों में पैसा भेजना शुरू किया। इससे वहाबी मुस्लिम दुनिया भर के देशों में मजबूत हुआ और इस पूरे क्षेत्र में सूफी इस्लाम की मौजूदगी कम हुई।
  • सऊदी अरब में मक्का और मदीना होने की वजह से ये इस्लामिक दुनिया के लिए काफी महत्वपूर्ण है। इसीलिए सऊदी अरब फिलिस्तीन को इजराइल का हिस्सा मानने से बचता है। अगर गलती से भी सऊदी ने ऐसा किया तो इससे उसके इस्लामिक प्रतिबद्धता पर लोग सवाल करने लगेंगे। इस मामले में पाकिस्तान का भी यही रुख है। एक जैसी विदेश नीति दोनों देशों को करीब लाती है।
  • सऊदी अरब के लिए पाकिस्तान सरकार से ज्यादा वहां की सेना अहम है। इसकी वजह यह है कि पाकिस्तानी सेना दुनिया की 20वीं सबसे ताकतवर सेना है। इस वक्त सऊदी में करीब 70 हजार पाकिस्तानी सैनिक हैं। 2018 में इमरान खान ने प्रधानमंत्री रहते हुए कहा था कि- ‘सऊदी अरब में मक्का और मदीना है। ऐसे में वहां कोई खतरा आता है तो पाकिस्तानी सेना ही नहीं यहां के लोग भी सऊदी की रक्षा करेंगे।’
  • पाकिस्तान भले ही अमेरिका और ब्रिटेन से सबसे ज्यादा हथियार खरीदता हो, लेकिन जब परमाणु हथियार की जरूरत हुई तो इन देशों ने मना कर दिया। सऊदी अरब को ये बात अच्छी तरह से पता है कि पाकिस्तान दुनिया का इकलौता ऐसा देश है जो सऊदी अरब को एक इशारे पर परमाणु टेक्नोलॉजी या हथियार मुहैया करा सकता है।