पठानों के शहर के नाम से मशहूर पेशावर की पुलिस लाइन्स की मस्जिद में सोमवार को हुए ब्लास्ट में 90 से ज्यादा पुलिसकर्मियों की मौत हो गई। 150 से ज्यादा घायल हैं।
एक चश्मदीद और IG शहर गुलाम रसूल के मुताबिक, यह फिदायीन हमला था। खैबर पख्तूख्वा राज्य के इस शहर में इस तरह के हमले होते रहे हैं। 2014 में यहां आर्मी पब्लिक स्कूल (APS) पर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) ने अटैक किया था। 141 बच्चों समेत कुल 148 लोग मारे गए थे। सोमवार को हुए हमले की जिम्मेदारी भी TTP ने ली है।
इस हमले के बाद कई सवाल उठते हैं। मसलन, रेड जोन वाले इलाके तक फिदायीन पहुंचा कैसे? साजिश में उसका मददगार कौन था? पूर्व PM इमरान खान पर सवाल क्यों उठ रहे हैं? और आखिर TTP इतना ताकतवर कैसे हो गया। तो चलिए इन सवालों के सिलसिलेवार जवाब तलाशते हैं...
इमरान के अस्पताल में आतंकियों का इलाज
TTP पर अमेरिका की वॉर्निंग
विवाद की जड़ है सीमा विवाद
पाकिस्तान और अफगानिस्तान एक सीमा के जरिए अलग होते हैं। इसे डूरंड लाइन कहा जाता है। पाकिस्तान इसे बाउंड्री लाइन मानता है, लेकिन तालिबान का साफ कहना है कि पाकिस्तान का खैबर पख्तूनख्वा राज्य उसका ही हिस्सा है। पाकिस्तानी सेना ने यहां कांटेदार तार से फेंसिंग की है।
15 अगस्त 2021 को अफगानिस्तान की सल्तनत पर तालिबान का कब्जा हो गया। उसने 5 दिन बाद ही, यानी 20 अगस्त को साफ कर दिया कि पाकिस्तान को अफगानिस्तान का हिस्सा खाली करना होगा, क्योंकि तालिबान डूरंड लाइन को नहीं मानता।
पाकिस्तान ने इसका विरोध किया और वहां फौज तैनात कर दी। इसके बाद तालिबान ने वहां मौजूद पाकिस्तानी चेक पोस्ट्स को उड़ा दिया। इस इलाके में कई पाकिस्तानी फौजी मारे जा चुके हैं और कई तालिबान के कब्जे में हैं।
ग्राफिक्स- विपुल शर्मा
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