पाकिस्तान तालिबान ने सरकार के साथ बातचीत के बाद स्वात वैली को छोड़ना शुरू कर दिया है। आतंकी संगठन पाकिस्तान तालिबान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत की स्वात घाटी में मौजूदगी से इस्लामाबाद में खतरे की घंटी बजने लगी थी। तालिबान आतंकवादियों ने कुछ महीने पहले स्वात जिले के मट्टा की पहाड़ियों पर कब्जा कर लिया था, जिससे कई पड़ोसी जिलों में दहशत फैल गई थी।
द न्यूज इंटरनेशनल अखबार की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि जिस दिन तालिबान के घाटी में आने की सूचना मिली थी, तालिबान की अप्रत्याशित मौजूदगी ने लोगों में गुस्सा पैदा कर दिया था। इसने वहां के पर्यटन उद्योग को भी नुकसान पहुंचाया।
दीर के रास्ते छोड़ रहे घाटी
खैबर पख्तूनख्वा और शहबाज शरीफ दोनों सरकारें इस मुद्दे पर अब तक चुप्पी साधे रहीं। मामला सामने आने के बाद पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा कि स्वात में तालिबान की उपस्थिति को लेकर वे अफगान सरकार के संपर्क में हैं। पाकिस्तान के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, "तालिबान ने वहां के स्थानीय लोगों की अपील मान ली और वे शांति से स्वात को छोड़ने के लिए तैयार हो गए। शनिवार की दोपहर तालिबान ने स्वात को दीर के रास्ते छोड़ना शुरू कर दिया है।
हमले की तैयारी के लिए पाकिस्तान ने भेजी सेना
पाकिस्तानी अखबार के मुताबिक सरकार ने अतिरिक्त सैनिकों को स्वात में भेजा है और तालिबान के खिलाफ संभावित हमले के लिए उन्हें अलग-अलग जगहों पर तैनात किया है।उन्होंने कहा, "हालात सामान्य हो गए हैं और घाटी में हिंसा की कोई घटना नहीं हुई।"
मतभेदों के कारण युद्ध विराम भी टला
जब से तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया, तभी से पाकिस्तान ने सीमा पार अफगानिस्तान से होने वाले हमलों से परेशान था। यह एक ऐसा मुद्दा है जिससे राजनयिक तनाव बढ़ गया। इसका समाधान निकालने के लिए दोनों पक्षों के बीच अक्टूबर 2021 में बातचीत शुरू हुई थी। अफगान तालिबान की अपील पर इस हुई बातचीत के कारण नवंबर में एक महीने का युद्धविराम हुआ। हालांकि यह ज्यादा दिन तक नहीं रहा क्योंकि मतभेद जल्द ही सामने आ गए।
TTP के कारण प्रभावित हुई शांति वार्ता
टीटीपी और पाकिस्तान सरकार के बीच चल रही शांति वार्ता में रुकावट आई क्योंकि प्रतिबंधित समूह ने खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत के साथ पूर्ववर्ती संघीय प्रशासित जनजातीय क्षेत्रों (FTA) के विलय को उलटने की अपनी मांग को मानने से इनकार कर दिया। हाल के हफ्तों में दोनों पक्षों के बीच कई बैठकों के बावजूद, शांति समझौते के मामले में (TTP) तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के हथियार डालने के मुद्दे पर भी गतिरोध बना हुआ है।
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