इजरायल और फिलिस्तीनी संगठन हमास के बीच शुक्रवार रात दो बजे संघर्ष विराम हो गया। दोनों इसे अपनी जीत बता रहे हैं। संघर्ष विराम लागू होते ही बड़ी संख्या में फिलिस्तीनी लोग गाजा में सड़कों पर जश्न मनाने लगे। शुक्रवार को हजारों फिलिस्तीनी अल अक्सा मस्जिद पहुंचे और आतिशबाजी की। कुछ लोगों ने उत्पाद भी मचाया। जिसके बाद इजरायली सुरक्षा बलों से उनकी झड़प हो गई। घटना में 60 से ज्यादा लोग घायल हो गए।
वहीं, दोनों पक्ष जंग थमने के बाद अब बयानबाजी पर उतर आए हैं। इसलिए रॉकेट और बमों की आवाजें थमने के बाद भी तनाव तो बरकरार है। हालांकि, सीजफायर कराने में अहम भूमिका निभाने वाले अमेरिका और मिस्र ने दोनों पक्षों को संभलकर बोलने की हिदायत दी है। वहीं, इजरायली पीएम नेतन्याहू ने शाम को मीडिया से बात की। कहा- ‘हमास ने 4 हजार रॉकेट इजरायल पर दागे। इन हालात में कोई भी देश खामोश नहीं रह सकता और हम भी अलग नहीं हैं। आयरन डोम के जरिए हमने अपनी रक्षा की। अगर ये नहीं होता तो हमें जमीनी कार्रवाई करनी पड़ती और इससे दूसरी तरफ बहुत ज्यादा नुकसान होता।’
इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष विराम - छोटी सी झड़प से शुरू हुआ विवाद जंग तक पहुंचा, 66 बच्चों समेत 243 मौतें
7-9 मई: जुमे की नमाज के बाद अल-अक्सा मस्जिद में झड़प। इजरायली पुलिस स्टन ग्रेनेड इस्तेमाल किए। 200 से ज्यादा घायल।
10 मई: इजरायलियों ने अरबों के इलाके से मार्च निकाला। झड़प में 300 फिलिस्तीनी, 21 पुलिसकर्मी जख्मी। तब हमास ने हमले किए।
11 मई: इजरायली एयरस्ट्राइक में गाजा सिटी टावर ध्वस्त। इजरायल ने हमास के 10 वरिष्ठ अधिकारियों को हवाई हमलों में ढेर कर दिया।
12 मई: हमास ने इजरायल के तेल अवीव, एश्केलोन और बीरशेबा शहरों पर रॉकेट दागे। यहूदी-अरबों वाले क्षेत्रों में झड़प। आपातकाल।
13 मई: वेस्ट बैंक, जॉर्डन में हिंसा। फिलिस्तीनी अधिकारियों ने इजरायली हमले में 11 लोगों की मौत की बात कही। पर इजरायल का इनकार।
14 मई: लेबनान-इजरायल सीमा पर इजरायली सुरक्षाबलों ने हिज्बुल्लाह के 21 वर्षीय सदस्य को गोली मार दी। इससे भी तनाव बढ़ा।
17 मई: लेबनान ने इजरायल पर 6 रॉकेट दागे, लेकिन ये पहले ही गिर गए। इजरायल ने भी लेबनान पर रॉकेट दागे।
18 मई: संघर्ष का दूसरा हफ्ता शुरू, पर हमले नहीं रुके। 200 से अधिक मौतें, इनमें 12 इजरायली। बड़ी संख्या में लोग घायल हुए।
19 मई: फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने संयुक्त राष्ट्र (यूएन) महासचिव एंतोनियो गुतेरस से बात कर हिंसा रोकने की अपील की।
20 मई: रात करीब 2 बजे मिस्र की मध्यस्थता में संघर्षविराम पर सहमति। हमास ने कहा कि हमले रोके। गाजा मस्जिद से जीत का ऐलान, फिर जश्न।
21 मई: युद्ध विराम के बाद दोनों तरफ के लोग हजारों की संख्या में अल अक्सा मस्जिद पहुंचे। फिलिस्तीनियों ने आतिशबाजी कर जश्न मनाया। इसी बीच उनकी इजरायली सुरक्षा बलों से झड़प हो गई। इसमें 60 से ज्यादा लोग घायल हो गए।
पर्दे के पीछे: 3 किरदार- मिस्र, कतर, अमेरिका
मिस्र, कतर मध्यस्थ, बाइडेन को था नेतन्याहू के फोन का इंतजार
मिस्र: इजरायल-हमास दोनों से बात की। राष्ट्रपति अब्दुल फतह अल-सीसी ने संघर्ष विराम करवाने के लिए दोनों जगह सुरक्षा प्रतिनिधिमंडल भेजे। अमेरिकी राष्ट्रपति से भी बात करते रहे। 2014 में भी दोनों के बीच मिस्र ने ही युद्धविराम करवाया था।
कतर: दोहा में कतर के डिप्टी पीएम और विदेश मंत्री ने हमास के राजनीतिक प्रमुख डॉ. इस्माइल हानिया से बात की। कतर ने जल्द संघर्ष विराम की बात की, साथ ही दुनिया भर से भी अपील की।
अमेरिका: राष्ट्रपति जो बाइडेन पर्दे के पीछे से काम करते रहे। 2 दिन में लगातार इजरायली प्रधानमंत्री बेन्जामिन नेतन्याहू से बात की। हमास के रॉकेट हमले जारी थे। ऐसे में बाइडेन पल-पल की खबर लेते रहे और नेतन्याहू के फोन का इंतजार करते रहे।
नुकसान- 11 लाख लोगों के पास पानी, बिजली जैसी सुविधाएं नहीं
इजरायल और फिलिस्तीन के बीच 11 दिनों तक चले संघर्ष का नतीजा यह निकला कि गाजा के 11 लाख लोगों के पास पीने का पानी, बिजली और टॉयलेट जैसी बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं। बिजली सप्लाई चेन ध्वस्त हो चुकी है। इसले अलावा ज्यादातर स्कूल भी ध्वस्त हैं या बमबारी की वजह से बंद हो चुके हैं। करीब 6 लाख बच्चे शिक्षा से वंचित हैं और घरों में कैद हैं। गाजा को गाजा पट्टी कहते ही इसलिए है, क्योंकि वह जमीन का एक छोटा टुकड़ा भर है। कुल मिलाकर यह 40 किमी लंबी और 8-10 किमी चौड़ा है। इसकी आबादी करीब 20 लाख है और जनसंख्या घनत्व लंदन, शंघाई जैसे शहरों से भी ज्यादा है।
4000 से ज्यादा मिसाइलें दागीं इन 11 दिनों में
हमास की 55 हजार की मिसाइल का जवाब 80 लाख रुपए वाली मिसाइल से
हमास ने 11 दिन में इजरायल पर 4 हजार मिसाइलें दागीं। इनमें हर एक मिसाइल की कीमत 22 से 55 हजार रुपए के बीच है। वहीं इजरायल ने हमास की इन मिसाइलों का जवाब 40 से 80 लाख रु. वाली मिसाइल से दिया। मिसाइल एक्सपर्ट्स बताते हैं कि हमास सबसे ज्यादा कसाम रॉकेट का इस्तेमाल करता है, जिसे वह एक साथ दागता है। इजरायल इन हमलों से निपटने के लिए आयरन डोम सिस्टम का इस्तेमाल करता है। इससे मिसाइलें खुद उड़कर रॉकेट नष्ट करती हैं। फिश इंस्टीट्यूट में स्पेस रिसर्च सेंटर के पूर्व अध्यक्ष ताल इनबर के मुताबिक, इससे इजरायल का हर दिन करोड़ों रुपए का नुकसान होता है।
अब आगे क्या- संघर्ष विराम का स्वागत, पर यह लंबा नहीं चलेगा
इजरायल और हमास की लड़ाई अब रोज की बात हो गई है। 2007 में गाजा पर हमास के कब्जे के बाद से दोनों के बीच चार बड़ी और सैंकड़ों छोटी-छोटी लड़ाइयां हो चुकी हैं, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला। इसका ज्यादा नुकसान फिलिस्तीनियों को ही हुआ है। इजरायल और हमास युद्ध के ऐसे तर्क और संकट में फंस गए हैं, जो तय करता है कि सब कुछ ऐसा ही चलता रहे। हमास के हमले व्यर्थ हैं, इसके रॉकेट कम नुकसान पहुंचाते हैं, लेकिन इजरायल को जवाब देना जरूरी लगता है। हालांकि, इस संघर्ष से किसी को कुछ नहीं मिला, कुछ भी हल नहीं निकला और सबसे बड़ी बात, ये फिर से ऐसा कर सकते हैं।
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