ईसाई धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का कहना है कि दुनिया भर में सांस्कृतिक मूल्यों का ह्रास हो रहा है। कई शादीशुदा जोड़े बच्चे पैदा नहीं कर रहे हैं। इसकी जगह कुत्ते-बिल्ली पाल रहे हैं। पालतू जानवरों को पाल कर ये लोग खुद को पैरेंट समझने का भ्रम पाल रहे हैं। जबकि ये स्वार्थीपन है। वेटिकन में अपने संबाेधन में पोप फ्रांसिस ने कहा कि इस ट्रेंड के कारण दुनिया भर में जन्मदर घट रही है।
अभिभावक नहीं होने के कारण लोग मानवता से भी दूर होते जा रहे हैं। आजकल दंपती या तो बच्चे ही पैदा नहीं कर रहे हैं या फिर बस एक ही बच्चा पैदा कर रहे हैं। जबकि वे दो-दो कुत्ते, बिल्ली या फिर अन्य पालतू जानवर पालकर खुद को पालक समझने लगते हैं। पालतू जानवरों काे पालकर आप उनके साथ भावनात्मक रिश्ता तो बना लेते हैं लेकिन पैरेंट और बच्चे के बीच जटिल रिश्ते से महरूम हो जाते हैं।
इटली की गिरती जन्म दर की ओर इशारा करते हुए पोप ने कहा कि आबादी बिना मातृत्व और पितृत्व के बूढ़ी हो रही है। उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि जब बच्चे ही नहीं होंगे तो बूढ़े होते लोगों की पेंशन के लिए टैक्स कौन भरेगा? बूढ़े होते लोगों का ख्याल कौन रखेगा। बिना बच्चों वाले लोगों का बुढ़ापा खराब गुजरेगा। कुछ एनिमल प्रोटेक्शन संगठनों ने पोप के बयान का विरोध भी किया है। उनका कहना है कि पालतू पशुओं की जिंदगी भी अहम होती है। हमें सभी की जिंदगी को खास मानना चाहिए।
बिना बच्चों के परिवारों के कारण मानवता पर बड़ा खतरा
पोप ने कहा कि बिना बच्चों के परिवारों के कारण मानवता पर बड़ा खतरा भी है। इससे मानवीय मूल्य खत्म हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि सरकारों को बच्चे गोद लेने की प्रक्रिया को सरल बनाना चाहिए। कागजी खानापूर्ति कम की जानी चाहिए। जो दंपती जैविक कारणों से माता-पिता नहीं बन पा रहे, उन्हें बच्चे गोद लेने से डरना नहीं चाहिए।
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