दुनिया में हर 40वां बच्चा जुड़वां के रूप में पैदा हो रहा है। वैज्ञानिकों ने आईवीएफ तकनीक से होने वाली पैदाइश को इसकी सबसे बड़ी वजह बताया है। साइंस जर्नल ह्यूमन रिप्रोडक्शन में प्रकाशित रिसर्च के मुताबिक, हर साल करीब 16 लाख जुड़वां बच्चे जन्म ले रहे हैं। यह संख्या पिछले 50 सालों में सबसे ज्यादा है। रिसर्चरों ने इसके लिए 135 देशों से 2010-2015 के बीच के आंकड़े जुटाए।
इसमें पता चला कि जुड़वां बच्चों के पैदा होने की दर सबसे ज्यादा अफ्रीका में है। रिसर्च में शामिल ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर क्रिश्टियान मॉन्डेन बताते हैं- ‘जुड़वां बच्चों की तुलनात्मक और विशुद्ध संख्या दुनिया में 20वीं सदी के मध्य के बाद अब सबसे ज्यादा है। अब यह दिन प्रतिदिन बढ़ती रहेगी।’ उन्होंने कहा- ‘विकसित देशों में 1970 के दशक से प्रजनन में मदद करने वाली तकनीक यानी एआरटी का उदय हुआ था। जिसके बाद जुड़वां बच्चों का जन्म ज्यादा हुआ।
अब बहुत सी महिलाएं ज्यादा उम्र में मां बन रही हैं और फिर उनके जुड़वां बच्चे होने के आसार बढ़ जाते हैं। गर्भनिरोधक का इस्तेमाल बढ़ गया है। वैज्ञानिकों ने फर्टिलिटी रेट में आई गिरावट को भी इसके लिए ही जिम्मेदार बताया है।
कम और मध्यम आय वाले देशों में जुड़वां बच्चों पर ध्यान देने की जरूरत
रिसर्च रिपोर्ट के सहलेखक जरोएन स्मिथ का कहना है- ‘कम और मध्यम आय वाले देशों में जुड़वां बच्चों पर और ज्यादा ध्यान दिए जाने की जरूरत है। सब सहारा अफ्रीका में तो खासतौर से बहुत सारे बच्चे अपने जुड़वां को जीवन के पहले साल में ही खो देते हैं। रिसर्च के मुताबिक यह संख्या हर साल 2-3 लाख तक है।
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