रूस ने ब्लैक सी में अमेरिकी ड्रोन को मार गिराया:US बोला-रूसी फाइटर जेट्स ने 40 मिनट तक घेरा फिर तबाह किया; रूस का इनकार

कीव3 महीने पहले
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अमेरिकी रीपर ड्रोन असल में सर्विलांस एयरक्राफ्ट होते हैं, जिनका विंगस्पैन 66 फीट तक होता है। - Dainik Bhaskar
अमेरिकी रीपर ड्रोन असल में सर्विलांस एयरक्राफ्ट होते हैं, जिनका विंगस्पैन 66 फीट तक होता है।

रूस फाइटर जेट्स ने मंगलवार को ब्लैक सी (काला सागर) में अमेरिकी ड्रोन MQ-9 रीपर को मार गिराया है। अमेरिका का दावा है कि यह घटना तब हुई जब रूसी जेट और अमेरिकी ड्रोन ब्लैक सी के ऊपर इंटरनेशनल एयरस्पेस में चक्कर लगा रहे थे। अमेरिका ने कहा कि दो रशियन Su-27 फाइटर जेट्स ने अमेरिकी ड्रोन को पहले 40 मिनट तक घेरा फिर ऊपर से फ्यूल गिराया। इससे ड्रोन के प्रोपैलर को नुकसान पहुंचा। इसके बाद ड्रोन को तबाह कर ब्लैक सी में गिरा दिया।

इस घटना के बाद दोनों देशों के बीच टकराव की आशंका बढ़ गई है। US एयरफोर्स के जनरल जेम्स हैकर ने रूस की हरकत को बेहद गैरजिम्मेदार और भड़काऊ बताया है। उधर, रूस ने अमेरिका के आरोपों से इनकार किया। उसने कहा कि हमारे फाइटर जेट किसी भी अमेरिकी ड्रोन के संपर्क में नहीं आए हैं। साथ ही कहा कि हम अमेरिका के साथ टकराव नहीं चाहते हैं।

पहले समझिए ब्लैक सी कहां है...

ब्लैक सी यूरोप और एशिया के बीच स्थित है। यह उत्तर दिशा में यूक्रेन, उत्तरपश्चिम में रूस, पूर्व में जॉर्जिया, दक्षिण में तुर्किये और पश्चिम में बुल्गारिया और रोमानिया से घिरा है। रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते ब्लैक सी में पिछले कई महीनों से तनाव बना हुआ है। यहां रूसी और अमेरिकी विमान अक्सर उड़ान भरते रहते हैं, लेकिन यह पहली बार हुआ है जब दोनों विमान आमने-सामने आ गए।

अमेरिका ने कहा- हम उसे ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि वह गलत हाथों में न लगे

पेंटागन के प्रवक्ता ब्रिग ने रूस की इस हरकत को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है।
पेंटागन के प्रवक्ता ब्रिग ने रूस की इस हरकत को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है।

अमेरिकी सैन्य अधिकारियों ने कहा कि अनआर्म्ड रीपर ड्रोन रूटीन गश्त पर था। यूक्रेन के क्रीमिया प्रायद्वीप से करीब 128 किमी दक्षिण-पश्चिम में दो रूसी Su-27 फाइटर जेट्स करीब 40 मिनट तक अमेरिकी रीपर ड्रोन के आसपास उड़ान भर रहे थे।

इसके बाद ये लड़ाकू विमान इसके ऊपर उड़ान भरने लगे और ड्रोन को नीचे लाने के लिए मजबूर किया। पेंटागन ने कहा कि यूक्रेन जंग के बाद से रूस और अमेरिकी सेनाओं के बीच यह पहला फिजिकल संपर्क हुआ है। अमेरिका के एक अधिकारी ने कहा कि अभी तक गिरे हुए ड्रोन को बरामद नहीं किया गया है। हम उसे ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि वह गलत हाथों में न लगे।

US एयरफोर्स ने रूस के रवैये को गैरजिम्मेदार और भड़काऊ बताया
US एयरफोर्स के जनरल जेम्स हैकर ने कहा- रूस की एयरफोर्स का रवैया बेहद गैरजिम्मेदाराना और भड़काऊ है। इसे प्रोफेशनल वर्कआउट भी नहीं कहा जा सकता। उनके दोनों एयरक्राफ्ट भी क्रैश हो सकते थे। वो पहले भी इस तरह की हरकतें करते रहे हैं। हम इस मामले की जांच कर रहे हैं।

रूसी राजदूत ने कहा- अमेरिका से टकराव नहीं चाहते

रूसी राजदूत अनातोली एंटोनोव ने कहा कि अमेरिका के दावे से इनकार किया है। (फाइल फोटो )
रूसी राजदूत अनातोली एंटोनोव ने कहा कि अमेरिका के दावे से इनकार किया है। (फाइल फोटो )

रूस ने अमेरिका के आरोपों को गलत ठहराया है। रूस का कहना है कि अमेरिकी ड्रोन ने करतब दिखाते हुए टर्न लिया, जिससे वह क्रैश हो गया। वह रूसी एयरक्राफ्ट्स से संपर्क में भी नहीं आया। रूसी रक्षा मंत्रालय ने यह भी कहा कि MQ-9 रीपर ड्रोन ने उड़ान के दौरान अपने ट्रांसपोन्डर्स बंद कर रहे थे, ताकि उसे कोई ट्रैक न कर सके।

उधर, अमेरिका ने रूसी राजदूत अनातोली एंटोनोव को तलब किया। अमेरिका के विदेश मंत्रालय पहुंचकर रुसी राजदूत ने कहा कि अमेरिकी विमानों का रूसी सीमा के पास होने से कोई लेना-देना नहीं है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि रूस अमेरिका से टकराव नहीं चाहता है।

ड्रोन क्या है?
चालकरहित विमान यानी अनमैन्ड एरियल व्हीकल (UAV) को ही आसान शब्दों में ड्रोन कहते हैं। पिछले 30 साल से ड्रोन का इस्तेमाल हो रहा है। न केवल मिलिट्री सर्विलांस के लिए बल्कि फिल्म बनाने, किसी इलाके की मैपिंग और अब तो सामान की डिलीवरी में भी। जहां तक मिलिट्री सर्विलांस का सवाल है तो इसकी शुरुआत 1990 के दशक में अमेरिका ने ही की थी।

मिलिट्री टेक्नोलॉजी के एडवांसमेंट के साथ ही ड्रोन का इस्तेमाल दुश्मन को मार गिराने में भी होने लगा। 1999 के कोसोवो वॉर में सर्बिया के सैनिकों के गुप्त ठिकानों का पता लगाने के लिए पहली बार सर्विलांस ड्रोन का इस्तेमाल हुआ था। 2001 में अमेरिका 9/11 के हमले के बाद ड्रोन हथियारों से लैस हो गया। उसके बाद तो जैसे यह सबसे एडवांस हथियार के तौर पर विकसित हो ही रहा है।

मिलिट्री ड्रोन से हमले कब शुरू हुए?
2001 में। अमेरिका ने ड्रोन से पहला हमला अक्टूबर 2001 में किया, जब उसने तालिबान के मुल्ला उमर को निशाना बनाया था। मुल्ला के कम्पाउंड के बाहर कार पर ड्रोन से हमले में मुल्ला तो नहीं मरा, पर उसके बॉडीगार्ड्स मारे गए थे। पहले ही मिशन में नाकामी के बाद भी अमेरिका पीछे नहीं हटा। उसने इस टेक्नोलॉजी को और मजबूती दी।

अमेरिका ने ‘वॉर ऑन टेरर’ के दौरान प्रिडेटर और रीपर ड्रोन अफगानिस्तान के साथ ही पाकिस्तान के उत्तरी कबाइली इलाकों में भी तैनात किए थे। अमेरिका के ही ड्रोन इराक, सोमालिया, यमन, लीबिया और सीरिया में भी तैनात हैं। रीपर ड्रोन ही था, जिससे US ने अलकायदा के ओसामा बिन लादेन की निगरानी की थी। जिसके बाद नेवी सील्स ने 2 मई 2011 को पाकिस्तान के एबटाबाद में लादेन को मार गिराया था। अमेरिका ने आज तक कभी भी ड्रोन हमलों के आंकड़े जारी नहीं किए हैं।

ड्रोन हमलों की निगरानी करने वाले एक ग्रुप जेन्स का दावा है कि 2014-2018 के बीच चार साल में इराक और सीरिया में अमेरिका ने रीपर ड्रोन से कम से कम 2,400 मिशन अंजाम दिए, यानी हर दिन दो हमले किए।

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