मॉस्को की सड़कों और रेस्तरां में पुरुष नहीं दिखते:जंग में भेजे जाने के डर से घरों में दुबके, लाखों ने देश छोड़ा, 2 लाख कजाकिस्तान पहुंचे

मॉस्को7 महीने पहले
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1 करोड़ 20 लाख की आबादी वाला मॉस्को कुछ खाली-खाली सा दिख रहा है। रेस्त्रां में पहले जैसी भीड़ नहीं है। दुकानें खाली पड़ी हैं। सड़कों पर सन्नाटा है। जो लोग दिख भी रहे हैं, उनमें महिलाएं ही हैं। पुरुष तो जैसे गायब ही हो गए हैं। दरअसल रूस की राजधानी से गायब पुरुषों की एक बड़ी आबादी यूक्रेन से जारी जंग पर गई हुई है। कुछ इस डर से शहर छोड़ गए हैं कि इस युद्ध में न झोंक दिए जाएं।

रूस के अधिकारियों का मानना है कि 2 लाख रूसी कजाकिस्तान भाग गए हैं, क्योंकि यहां जाने के लिए रूसियों को पासपोर्ट की जरूरत नहीं होती। इसके अलावा जॉर्जिया, आर्मेनिया, अजरबैजान, इजरायल, अर्जेंटीना और पश्चिमी यूरोप के देशों में बहुत से रूसी पहुंचे हैं। सिलसिला अब भी जारी है।

रूसियों के देश छोड़ने की शुरुआत तो यूक्रेन से युद्ध शुरू होते ही हो गई थी। जेल में डाले जाने के डर से बाद में वे भी भाग गए, जिन्होंने युद्घ का विरोध किया था।
रूसियों के देश छोड़ने की शुरुआत तो यूक्रेन से युद्ध शुरू होते ही हो गई थी। जेल में डाले जाने के डर से बाद में वे भी भाग गए, जिन्होंने युद्घ का विरोध किया था।

पुतिन के आदेश के बाद देश छोड़ रहे पुरुष
राजधानी के एक सैलून की मैनेजर ओल्या बताती हैं, हमारे आधे ग्राहकों ने देश छोड़ दिया है। पुरुष नाई भी यहां से चले गए हैं। उन्होंने राष्ट्रपति पुतिन के पुरुषों को युद्घ पर भेजने के अभियान से बचने के लिए देश छोड़ा है। जो बचे हैं वे इस खौफ में सड़कों पर नहीं दिख रहे कि कहीं उन्हें युद्ध पर जाने का नोटिस न थमा दिया जाए।

मेट्रो स्टेशनों के बाहर पुरुषों के दस्तावेज चेक किए जा रहे हैं। ओल्या के बॉयफ्रेंड ने भी देश छोड़ दिया है। मॉस्को में मौजूद महिलाएं बताती हैं कि उनके पुरुष साथी देश छोड़कर चले गए हैं। कुछ जाने की तैयारी कर रहे हैं। वे नहीं चाहतीं कि उनका पूरा नाम लिया जाए। उन्हें डर है कि अगर उनकी पहचान उजागर हुई तो उन्हें इसका नतीजा भुगतना पड़ेगा।

बॉर्डर सील होने का डर
अब भाग रहे लोगों को यह भी डर है कि राष्ट्रपति पुतिन ने अगर मार्शल लॉ लगा दिया तो बॉर्डर सील कर दिए जाएंगे। वे रूस में ही फंस कर रह जाएंगे। हाल ही में पुतिन ने घोषणा की थी कि 2 लाख 20 हजार लोगों को जंग पर जाने के लिए तैयार किया गया है।

33 साल की फोटोग्राफर स्तानिस्लावा कहती हैं, 'लगता है जैसे रूस सिर्फ महिलाओं का देश हो गया है। मेट्रो में सिर्फ महिलाएं नजर आती हैं। अभी हमने बर्थडे मनाया। उसमें भी सिर्फ महिलाएं ही थीं। वे अपने बच्चों और बुजुर्गों की जिम्मेदारियों के साथ यहां अकेली रह गई हैं। खौफ में हैं कि उनके पति जिंदा लौटेंगे या नहीं।'

रूस के पुरुष जिन देशों में पहुंचे हैं, वहां डेटिंग ऐप्स की डाउनलोडिंग बढ़ी
रूस से भागकर ये लोग जिन देशों में पहुंचे हैं, वहां की डेटिंग साइट्स पर एक्टिव हो गए हैं। आर्मेनिया में डेटिंग ऐप माम्बा की डाउनलोडिंग 135% बढ़ गई है। जॉर्जिया और तुर्की में 110%, जबकि कजाकिस्तान में 32% ज्यादा डाउनलोडिंग हुई है।