मॉस्को. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने अमेरिका का नाम लिए बिना उसे खुली धमकी दी है। पुतिन ने कहा- कोई भी इस गलतफहमी में न रहे कि रूस पीछे है। हमारे पास दुनिया के सबसे खतरनाक एटमी हथियार हैं, लेकिन हम इनका अपनी तरफ से पहले इस्तेमाल नहीं करेंगे।
टीवी पर एक प्रोग्राम के दौरान पुतिन ने माना कि यूक्रेन में जंग जितनी लंबी खिंच गई है, वो उनके अनुमान से काफी ज्यादा है। रूस ने 24 फरवरी को यूक्रेन पर हमला किया था। अब करीब 10 महीने हो चुके हैं और दोनों देशों के बीच जंग जारी है।
जंग और लंबी खिंचेगी
स्नेक आईलैंड से सैनिकों की वापसी
24 फरवरी को जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया तो उसने तभी साफ कर दिया था कि वो यूक्रेन की इकोनॉमी को तबाह कर देगा। इसी स्ट्रैटेजी के तहत रूसी सेना ने स्नेक आईलैंड पर भारी बमबारी की और उस पर कब्जा कर लिया। इसकी वजह से यूक्रेन के तमाम एक्सपोर्ट्स बंद हो गए। इसका खामियाजा सीधे तौर पर दुनिया को भी भुगतना पड़ा। यूक्रेन का गेहूं और दूसरे एग्रीकल्चर प्रोडक्ट दूसरे देशों तक नहीं पहुंचे और वर्ल्ड फूड क्राइसिस पैदा हो गया।
दो महीने पहले रूस की डिफेंस मिनिस्ट्री ने एक बयान में कहा था- हमने स्नेक आईलैंड से सैनिक वापस बुला लिए हैं। हम नहीं चाहते कि मानवता के लिए कोई संकट पैदा इसलिए ह्यूमन कॉरिडोर बनाने का फैसला किया है।
लंबे समय तक प्रतिबंध पहुंचा सकते हैं नुकसान
आज का युग युद्ध का नहीं : मोदी
सितंबर 2022 में उज्बेकिस्तान के समरकंद में हुई SCO की मीटिंग से इतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन से मुलाकात की थी। दोनों के बीच हुई करीब 50 मिनट बातचीत में PM मोदी ने कहा था- आज का युग जंग का नहीं है। हमने फोन पर कई बार इस बारे में बात भी की है कि लोकतंत्र कूटनीति और संवाद से चलता है।
मुलाकात के दौरान पुतिन ने मोदी से कहा था- मैं यूक्रेन से जंग पर आपकी स्थिति और आपकी चिंताओं से वाकिफ हूं। हम चाहते हैं कि यह सब जल्द से जल्द खत्म हो। हम आपको वहां क्या हो रहा है, इसकी जानकारी देते रहेंगे।
शांति के समर्थन में भारत
24 फरवरी को शुरू हुई रूस-यूक्रेन जंग के बाद से प्रधानमंत्री मोदी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की से कई बार फोन पर बात कर चुके हैं। अक्टूबर में पीएम मोदी ने राष्ट्रपति जेलेंस्की से बातचीत की थी। इस दौरान उन्होंने कहा था- कोई सैन्य समाधान नहीं हो सकता। भारत शांति के किसी भी प्रयास में योगदान देने को तैयार है।
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