रूस ने यूक्रेन के साथ शांति वार्ता में अपनी सेना को पीछे बुलाने का ऐलान किया है। इसके बाद यूक्रेन की राजधानी कीव से सैनिकों को पीछे हटाना शुरू कर दिया गया है। इसमें रूसी बटालियन टैक्टिकल ग्रुप (BTG) भी शामिल है, जो यूक्रेन के राजधानी के आसपास के क्षेत्रों से पीछे हट रही है। दरअसल, रूसी सेना अब दक्षिण और पूर्व में बढ़त बनाने के लिए उत्तर के कुछ क्षेत्रों में पीछे हट रही है।
सीजफायर पर नहीं बनी सहमति
रूस की तरफ से ये कदम तब उठाया गया है, जब मंगलवार को तुर्की के इस्तांबुल में रूसी और यूक्रेनी डेलीगेशंस के बीच शांति वार्ता हुई। इस वार्ता के बाद यूक्रेन के डेलीगेशन में शामिल अधिकारी ने कहा कि आने वाले दिनों में रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोल्दोमीर जेलेंस्की के बीच बैठक हो सकती है।
खबरों के मुताबिक, रूसी राष्ट्रपति के सहयोगी व्लादिमिर मेडिंस्की ने मंगलवार को कहा कि कीव और चेर्निहाइव के आसपास से रूसी सैनिकों को पीछे हटना सीजफायर नहीं है। तुर्की में हुई बातचीत को रूस ने सकारात्मक बताया है। साथ ही सैनिकों को कीव और चेर्निहाइव पर हमले कम करने के लिए भी कहा है। इसकी एक वजह हो सकती है यूक्रेन का न्यूट्रल स्टेटस। यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कहा कि वे न्यूट्रल रहेंगे, यानी यूक्रेन सैन्य गठबंधनों में शामिल नहीं होगा लेकिन बदले में सुरक्षा की गारंटी मिले।
5 बातों से जानिए रूस क्यों कीव के पास अपनी सैन्य गतिविधि कम कर रहा...
1. सकारात्मक बातचीत का माहौल बनाने की कोशिश
रूस ने कहा है कि वह राजधानी कीव के चारों तरफ से इसलिए अपनी सेना को कम कर रहा है ताकि दोनों देशों के बीच बातचीत का सकारात्मक माहौल बन सके। यह कदम इस्तांबुल में यूक्रेनी डेलीगेशन की तरफ से शांति वार्ता के दौरान राजधानी की सुरक्षा की गारंटी मांगे जाने के एवज में उठाया गया है।
2. रूस के कब्जे से आजाद हुआ इरपिन
दूसरी वजह हो सकती है- यूक्रेनी सैनकों का रूस के सैनिकों को मुंहतोड़ जवाब देना। यूक्रेनी सेना ने कीव के पास स्थित इरपिन को रूसी कब्जे से आजाद करा लिया। इरपिन के मेयर ओलेक्जेंडर मार्कुशिन ने कहा कि इरपिन को स्वतंत्र करा लिया गया है। हम समझते हैं कि अभी हमारे शहर पर और हमले होंगे और हम साहस के साथ इनका सामना करेंगे। इतना ही नहीं यूक्रेन फोर्सेज की एक स्पेशल यूनिट ने कीव की तरफ जा रहे रूसी सेना के एक 64 किलोमीटर लंहे काफिले को तबाह कर दिया।
3. सेना को रिग्रुप कर रहा रूस
तीसरी वजह हो सकती है- आगे बढ़ने के लिए रूस का दो कदम पीछे जाना। पश्चिमी देशों की नजरों में रूस के इस कदम को थोड़े वक्त के लिए सेना को रिग्रुप करने के लिए उठाए गए कदम के तौर पर देखा जा रहा है। जंग को शुरू हुए एक महीने से ज्यादा का वक्त बीत गया है। रूसी सेना लगातार यूक्रेन के कई शहरों को तबाह कर रही है, लेकिन यूक्रेन झुकने तैयार नहीं हैं।
यूक्रेन की रक्षा खुफिया एजेंसी के प्रमुख ब्रिगेडियर जनरल किरीलो बुडानोव ने कहा कि कीव के आसपास रूस के सैन्य अभियान फेल हो गए हैं। ऐसे में अब रूसी सेना को मालूम है कि यूक्रेनी सरकार को उखाड़ फेंकना असंभव है। यही वजह है कि पुतिन की सेना यूक्रेन के पूर्व और दक्षिण की ओर फोकस कर रही है। जंग में रूस के कई मेजर जनरल मारे जा चुके हैं। पढ़ें पूरी खबर...
4. डोनबास पर टिकीं पुतिन की नजरें
यूक्रेन में उसके स्पेशल मिलिट्री ऑपरेशन का पहला फेज खत्म हो चुका है। रूसी सैनिक अब यहां के पूर्वी डोनबास इलाके की आजादी पर फोकस करेंगे, जहां रूस समर्थित अलगाववादी 8 साल से लड़ रहे हैं। रूसी सेना के जनरल स्टाफ के सीनियर रिप्रेजेंटिटिव सर्गेई रुडस्कोई ने कहा कि यूक्रेनी आर्म्ड फोर्सेस की वॉर कैपिसिटी में काफी कमी आई है। इस वजह से हम अपने मुख्य लक्ष्य डोनबास की आजादी पर फोकस कर सकते हैं। रूस जंग की शुरूआत में ही डोनबास के डोनेट्स्क और लुहान्स्क इलाके को स्वतंत्र देश की मान्यता दे चुका है।
5. यूक्रेन को दो हिस्सों में बांटना चाहता है रूस
यूक्रेन के इंटेलिजेंस चीफ किरिलो बुडानेव ने कहा है कि रूस की पुतिन सरकार यूक्रेन को दो हिस्सों में बांटना चाहती है। एक इंटरव्यू में बुडानेव ने कहा- पुतिन का मकसद कीव पर कब्जा करना और मुल्क को दो हिस्सों में बांटना है। ठीक वैसे ही जैसे नॉर्थ और साउथ कोरिया अलग हुए।
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