रूस ने एक 19 साल की लड़की को आतंकी घोषित कर उसका नाम आतंकवादियों की लिस्ट में शामिल किया है। इसका मतलब ये हुआ कि रूस इस लड़की को IS, अल-कायदा और तालिबान जितना खतरनाक मानता है। इतना ही नहीं उसे कैद करके जेल की सजा भी सुनाई है।
अब हैरानी की बात ये है कि रूस ने इस लड़की को सिर्फ यूक्रेन हमले का विरोध करने पर ये सजा सुनाई है। जिस लड़की जो जेल की सजा हुई है उसका नाम ओलेसा क्रिवत्सोवा है। वो अपनी मां के साथ रूस के अर्खांगेलस्क शहर में रहती है।
अब विस्तार से समझिए पूरा मामला...
1. ओलेसा ने अक्टूबर 2022 में रूस का विरोध किया
8 अक्टूबर को रूस पर हुए यूक्रेनी हमले के बाद ओलेसा ने सोशल मीडिया पर कुछ पोस्ट किए थे। दरअसल, इस दिन यूक्रेन ने रूस का कर्च ब्रिज उड़ा दिया था। ये ब्रिज रूस को क्रीमिया से जोड़ता है। अपने पोस्ट में उसने यूक्रेन पर रूसी हमले का विरोध किया था। साथ ही रूसी सेना की बेइज्जती भी की थी। इसके बाद से उसे हाउस अरेस्ट यानी घर में नजरबंद कर दिया गया।
2. एंटी-पुतिन टैटू बनवाया
नजरबंद होने के कारण ओलेसा क्रिवत्सोवा के पैर में एक ट्रैकर लगाया गया है। इसके जरिए रूसी अथॉरिटीज उसकी हर एक्टिविटी पर नजर रख रही है। हाउस अरेस्ट होने के बाद ओलेसा ने अपने पैर पर एक स्पाइडर का टैटू बनवाया। इस स्पाइडर की बॉडी को पुतिन के चेहरे से रिप्लेस कर दिया गया है। साथ ही लिखा है- बिग ब्रदर इज वॉचिंग यू। मतलब- बड़ा भाई तुम्हें देख रहा है।
3. ओलेसा पर सेना का अपमान करने के आरोप लगे
क्रिवत्सोवा पर सेना का अपमान करने के आरोप लगे हैं। उसके वकीलों का कहना है कि उसे तीन से सात साल की सजा सुनाई गई है, लेकिन वो कोशिश कर रहे हैं कि ये सजा कम हो सके। वकीलों ने कहा- फिलहाल क्रिवत्सोवा हाउस अरेस्ट, यानी घर में नजरबंद है। हम चाहते हैं उसको कुछ फाइन भरने की पनिशमेंट दी जाए और फिर उसे आजाद कर दिया जाए।
ये पहली बार नहीं है जब ओलेसा को पकड़ा गया हो। मई 2022 में भी उस पर सेना की आलोचना करने पर चार्जेस लगाए गए थे। उसने इस दौरान एंटी-वॉर पोस्टर्स बांटे थे। वकीलों का कहना है कि एक ही आर्टिकल के तहत बार-बार किए गए अपराध एक क्रिमिनल केस बन जाते हैं।
4. ओलेसा की मां ने कहा- विरोध दबा रही रूसी अथॉरिटीज
ओलेसा की मां नताल्या क्रिवत्सोवा का कहना है कि अथॉरिटीज उनकी बेटी को उदाहरण की तरह पेश कर रही है। उन्होंने कहा- सरकार जनता को चेतावनी देने की कोशिश कर रही है। सरकार बताना चाहती है कि अगर लोगों ने अपने विचार अपने तक सीमित नहीं रखे तो उन्हें इसके परिणान भुगतने के लिए तैयार रहना होगा। वो किसी भी तरह के विरोध का गला घोंटना चाह रहे हैं।
5. एक अधिकारी ने ओलेसा का टीवी पर मजाक उड़ाया
CNN की रिपोर्ट के मुताबिक, लोकल एडमिनिस्ट्रेशन के एक अधिकारी ने एक इंटरव्यू के दौरान ओलेसा का मजाक उड़ाया था। उन्होंने उसे बेवकूफ कहा था। उनका कहना था कि 19 साल की उस लड़की को जंग के मैदान में भेज देना चाहिए ताकि वो वहां लड़ रहे रूसी सैनिकों से नजर मिलाकर देख सके कि वो कैसे लड़ रहे हैं।
ये खबरें भी पढ़ें...
पुतिन ने रूस में युद्ध को 'NO' कहने वाले मासूमों को लॉक-अप में बंद किया, जंग का कर रहे थे विरोध
7 से 11 साल की उम्र से बच्चे रूस-यूक्रेन युद्ध का विरोध करने के लिए अपनी मां के साथ मॉस्को में युक्रेन दूतावास के बाहर पहुंचे थे। नन्हें-नन्हें हाथों में 'नो टू वॉर' के बैनर लिए यह बच्चे पुतिन सरकार को बिलकुल भी हजम नहीं हुए और इन्हें रूस पुलिस अपनी वैन में बिठाकर पुलिस स्टेशन ले गई। पढ़ें पूरी खबर...
यूक्रेन के संगठन ने जीता शांति का नोबेल, उसकी फाउंडर ने बंकर से भास्कर को दिया था इंटरव्यू; पुतिन के विरोध का चेहरा बनीं
7 महीने से जंग लड़ रहे यूक्रेन और रूस के दो संगठनों को शांति का नोबेल पुरस्कार मिला। वॉर क्राइम के खिलाफ काम कर रहे यूक्रेन के ऑर्गेनाइजेशन सेंटर फॉर सिविल लिबर्टीज का नाम भी विजेताओं में है। ओलेक्सांद्रा मात्वीचुक इस संगठन की हेड हैं। पढ़ें पूरी खबर...
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.