डेनियल एंडरसन (42) चमगादड़ में वायरस पर रिसर्च करने वाली ऐसी अकेली विदेशी हैं, जिन्होंने वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी की बीएसएल-4 लैब में नवंबर 2019 तक काम किया।
वे बताती हैं- ‘लैब में काम करने वाले वैज्ञानिकों के बीमार पड़ने का दावा गलत है। अगर लोग बीमार होते, तो मैं भी बीमार होती, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मुझे वैक्सीन लगने से पहले मेरी सिंगापुर में जांच हुई थी, लेकिन मैं संक्रमित नहीं थी।’ एंडरसन बताती हैं कि संक्रमण के लक्षण पता करने की एक प्रक्रिया होती है। उच्च जोखिम वाली लैब में इसका समान रूप से पालन होता है। हालांकि उन्होंने ये कहा कि वायरस का लैब से फैलना नामुमकिन भी नहीं है। उनका कहना है कि ये लैब बहुत बड़ी है, इसलिए उन्हें साफतौर पर नहीं पता कि कौन, किस चीज पर काम कर रहा था।
एंडरसन मेलबर्न के पीटर डोहर्टी इंस्टीट्यूट फॉर इंफेक्शन एंड इम्युनिटी में काम कर रहीं हैं। उन्होंने 2016 में वुहान लैब के वैज्ञानिकों के साथ काम शुरू किया था। कोरोना फैलने के दौरान वे वहीं कार्यरत थीं।
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