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ब्रिटिश राजशाही से मुक्ति पाने की तैयारी में 3 देश:गणतंत्र बनने के लिए ‘सेल्फ रूल कैंपेन’ चलाया जा रहा, किंग चार्ल्स III की बढ़ सकती है परेशानी

लंदन/कैनबरा7 महीने पहले
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क्वीन एलिजाबेथ II की मौत के बाद तीन देश ब्रिटिश राजशाही से मुक्ति पाने की तैयारी में है। इनमें ऑस्ट्रेलिया, एंटीगा-बरबूडा और जमैका शामिल हैं। तीनों में साल 2025 में जनमत संग्रह होने वाला है। इसमें इन देशों की जनता ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन रहने या नहीं रहने के बारे में वोटिंग करेगी। माना जा रहा है कि इन देशों में ब्रिटेन की राजशाही के खिलाफ माहौल है। इन देशों के गणतंत्र बनने के लिए ‘सेल्फ रूल कैंपेन’ भी चलाया जा रहा है।

क्वीन अपने शासनकाल के दौरान 15 देशों की राजप्रमुख रहीं। क्वीन एलिजाबेथ का निधन 8 सितंबर, 2022 को हुआ। इसके बाद उनके बेटे चार्ल्स किंग बने हैं। चार्ल्स के सामने ब्रिटिश साम्राज्य के विस्तार को बनाए रखना सबसे बड़ी चुनौती होगी।

किंग बनने के बाद भी ताज के लिए करना पड़ेगा इंतजार
कोरोनेशन यानी ताजपोशी के लिए अभी चार्ल्स को इंतजार करना पड़ सकता है, क्योंकि इसकी तैयारियों में वक्त लगेगा। इससे पहले क्वीन एलिजाबेथ को भी करीब 16 महीने इंतजार करना पड़ा था। फरवरी 1952 में उनके पिता का निधन हुआ, लेकिन जून 1953 में उनकी ताजपोशी हुई थी। बता दें कि यह सरकार का कार्यक्रम होता है और इसका खर्च भी सरकार को ही करना होता है।

ब्रिटिश साम्राज्य के तीन महत्वपूर्ण देशों की स्थिति...
कनाडा: 3.81 करोड़ की आबादी में से 34% लोग ही किंग के रूप में चार्ल्स को पसंद करते हैं। एंग्स सर्वे में 66% लोगों ने जनमत संग्रह का समर्थन किया। फ्रेंच भाषी क्यूबेक में 71% लोग ब्रिटिश सामाज्य से अलग होना चाहते हैं।

ऑस्ट्रेलिया: 1999 में हुए जनमत संग्रह में 54% लोगों ने ब्रिटिश सामाज्य में रहने की इच्छा जताई थी। अब पीएम अल्बानीज ने ब्रिटिश सामाज्य छोड़ने के लिए रिपब्लिक मिनिस्टर बनाया। 2025 में जनमत संग्रह होगा।

न्यूजीलैंड: लगभग 51 लाख की आबादी में से 42%लोग ब्रिटिश साम्राज्य से अलग होने की इच्छा रखते हैं। पीएम जीसंदा अर्डर्न ने संभावना जताई कि उनके जीवन काल में ही न्यूजीलैंड ब्रिटिश साम्राज्य से अलग हो सकता है।

क्वीन या किंग को राज्याध्यक्ष मानने पर ये चीजें करनी पड़ती हैं

  • क्वीन या किंग की फोटो अपने देश की करेंसी पर छापनी या मुद्रित करनी होती है
  • ये देश संप्रभुता संपन्न तो होते हैं, पर यहां राष्ट्रपति नहीं गवर्नर जनरल की नियुक्ति की जाती है
  • इन देशों की संसद में पारित विधेयक बाद में औपचारिक रूप से किंग के पास भेजे जाते हैं