पाकिस्तान के सियालकोट में शुक्रवार को श्रीलंकाई नागरिक प्रियांथा दिव्यवदना लिंचिंग मामले में अब तक तस्वीर साफ नहीं हो पाई है। पाकिस्तानी मीडिया का दावा है कि प्रियांथा के मारे जाने की वजह उनका मजदूरों से पुराना विवाद था। कुछ खबरों में कहा गया है कि प्रियांथा ने फैक्ट्री में लगा एक स्टिकर हटाकर डस्टबिन में डाल दिया था। ये उर्दू में था, इसलिए दिव्यवदना इसे समझ नहीं पाए थे। इस घटना का वहां मौजूद कुछ मजदूरों ने फायदा उठाने की कोशिश की। इसकी वजह ये इतनी बड़ी घटना हो गई।
शुक्रवार को सियालकोट में भीड़ ने एक फैक्ट्री के प्रोडक्शन मैनेजर को पहले पीट-पीटकर मार डाला था। बाद में उनका शव बीच चौराहे पर लाकर जला दिया था। घटना के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं।
चैम्बर ऑफ कॉमर्स की सफाई
सियालकोट चैम्बर ऑफ कॉमर्स के प्रेसिडेंट इमरान अकबर ने ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ से कहा- कुछ मजदूरों और प्रियांथा के बीच पुराना विवाद था। इसके चलते यह घटना हुई। प्रियांथा काम के मामले में काफी सख्त थे, यह कुछ लोगों को पसंद नहीं आता था। इस घटना से मुल्क की इमेज को गहरा धक्का लगा है। हम चाहते है कि बिजनेस कम्युनिटी और सरकार मिलकर इस मामले में विचार करें। हम चाहते हैं कि भविष्य में फिर ऐसी घटना न हो।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट भी आई
रविवार को प्रियांथा की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट भी सामने आई। रिपोर्ट्स के मुताबिक- भीड़ ने बड़ी बेरहमी से प्रियांथा को मारा था। उनके शरीर की 90% हड्डियां टूटी पाई गईं है। 99% शरीर आग की वजह से जल गया है। जबड़े और सिर में भी गंभीर चोटें या फ्रेक्चर पाए गए हैं। उनकी स्पाइनल कॉर्ड तीन जगह से टूटी पाई गई है।
दूसरी तरफ, पाकिस्तान सरकार ने इस मामले में अब तक 124 लोगों को गिरफ्तार किया है। माना जा रहा है कि ये सभी टीएलपी के कार्यकर्ता हैं। हालांकि, यह साफ नहीं है कि इनमें से फैक्ट्री के कितने कर्मचारी या मजदूर हैं। गिरफ्तार किए गए कुछ लोगों के फोटोग्राफ्स भी सामने आए हैं।
TLP ने कहा- हमारा हाथ नहीं
तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) को इस घटना का जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। इसकी वजह यह है कि वीडियो में दिख रहे तमाम लोग TLP के नारे लगा रहे थे और खुद को लब्बैक का कार्यकर्ता बता रहे थे। रविवार को पहली बार TLP ने इस बारे में बयान दिया। कहा- हमें इस घटना पर अफसोस है, लेकिन इसे हमारी पार्टी से जोड़ना गलत है। घटना को अंजाम देने वाले लोग जिस तरह के नारे लगा रहे थे, वैसे तो हर मुस्लिम लगाता है।
TLP प्रवक्ता ने आगे कहा- पाकिस्तान का संविधान सभी को अपने मजहब मानने की गारंटी देता है, फिर चाहे वो हिंदू हों या क्रिश्चियन। इस मामले की गंभीरता से जांच होना चाहिए और बिना किसी सबूत के किसी को निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए।
भीड़ नहीं कर सकती इंसाफ
पाकिस्तान की सीनियर जर्नलिस्ट आलिया शाह ने अपने यूट्यूब चैनल पर कहा- मेरी जानकारी के मुताबिक, फैक्ट्री में जांच के लिए कुछ अफसर आने वाले थे। इसके पहले प्रियांथा ने वहां सफाई कराने का प्लान बनाया। वहां लगे कुछ स्टिकर और पोस्टर भी हटाए गए। इसी दौरान प्रियांथा ने एक स्टिकर निकालकर उसे डस्टबिन में डाल दिया। वहां मौजूद दो लोगों ने बाहर निकलकर इसे बाकी लोगों को बताया। इसके बाद यह घटना हुई। एक और पत्रकार मुबाशिर लुकमान ने भी घटना की करीब-करीब यही कहानी बताई है।
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