टेक्नोलॉजी को अपनाने की धुन में सिंगापुर सर्विलांस स्टेट बनकर रह गया है। देश यूं तो खुद को ‘स्मार्ट नेशन’ कहलाना पसंद करता है, लेकिन हकीकत अलग है। यहां जेल में कैदियों की हर हरकत पर निगरानी रखी जाती है, लेकिन यही स्थिति बाहर भी है। 90 हजार कैमरे सड़कों पर निगरानी करते हैं। इस दशक के अंत तक इनकी संख्या दो लाख हो जाएगी। पूरे शहर में फेशियल रिकग्निशन कैमरे और क्राउड एनालिटिक्स सिस्टम सहित सेंसर लगाए जा रहे हैं।
हालांकि ऐसा प्रयोग कई देशों में हो रहा है, लेकिन सिंगापुर की सत्तारूढ़ पार्टी हर जगह खतरों को देखती है और व्यक्तिगत रूप से और लोगों के जीवन में शामिल होने के लिए तेजी से इच्छुक लगती है। बताया जाता है कि यह नागरिकों के अच्छे अनुशासन के लिए है, लेकिन ऐसा है नहीं। जो लोग सरकार द्वारा तय लाइन के भीतर रहते हैं, आराम, समृद्धि और स्वतंत्रता पाते है। औसत नागरिक से भी अपेक्षा की जाती है कि वह अपनी व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर नियंत्रण के नुकसान के बदले सुरक्षा के लिए सरकार पर भरोसा करे।
मुश्किल है यहां जिंदगी
सिंगापुर में प्रवासी लोगों के साथ इससे भी बुरा बर्ताव होता है। हाल ही में कोरोना के वक्त सिंगापुर ने लॉकडाउन लगाया। इसके चलते तीन लाख से अधिक मजदूर कैदखाने जैसे कॉम्प्लेक्स में रहने को मजबूर हो गए। लाॅकडाउन हटाने के बाद सरकार ट्रेसटूगेदर सिस्टम लेकर आई। इसमें यूजर को हर जगह प्रवेश करने पर क्यूआर कोड स्कैन करना होता है। शरीर के तापमान के आधार पर एप अनुमति देता है तो ही व्यक्ति आ-जा सकता है। कॉम्प्लेक्स में रोबाे डॉग्स भी तैनात किए गए हैं, तो साेशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाते हैं।
दरअसल, 2014 में प्रधानमंत्री ली हेसिन लूंग ने ‘स्मार्ट नेशन’ पहल लॉन्च की थी। तब उन्होंने कहा था, हम सिंगापुर को ऐसा सार्थक और जीवन से भरपूर देश बनाना चाहते हैं। हम टेक्नोलॉजी को रोजमर्रा की जिंदगी में देखते हैं, जहां सेंसर का नेटवर्क और स्मार्ट डिवाइस जीवन को टिकाऊ और आरामदायक बनाते हैं। हालांकि अब लोगों को यह कैद लगने लगी है।
रोबोट रखता है नजर
सितंबर 2021 में सिंगापुर में जेवियर नाम के रोबोट का इस्तेमाल करना शुरू किया गया। यह कैमरा और सेंसर से लैस है और रहवासी इलाकों में पैट्रोलिंग करता है। यह सोशल डिस्टेंसिंग पर ही नजर नहीं रखता, बल्कि इसके कैमरा असामाजिक व्यवहार, धूम्रपान, अवैध फूड स्टॉल, भीड़भाड़ पर भी नजर रखते हैं। यह स्पीकर से ऑर्डर देता है, वीडियो रिकॉर्ड करता है और हेडक्वार्टर को रिपोर्ट करता है। इससे सरकार को लोगों पर नियंत्रण करना आसान हो गया है।
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