ताइवान के प्रेसिडेंट ऑफिस की वेबसाइट पर मंगलवार साइबर अटैक हुआ। ये अटैक अमेरिका की स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान विजिट से कुछ घंटे पहले हुआ। साइबर हमले के पीछे चीन का हाथ होने की आशंका जताई जा रही है।
वहीं, ताईपेई एयरपोर्ट को बम से उड़ाने की धमकी दी गई। धमकी हैकर्स ने दी है या किसी और संगठन ने, ये अभी साफ नहीं हो पाया है। पेलोसी एशिया दौरे पर हैं। वे मंगलवार रात करीब 8:26 बजे बजे मलेशिया से ताईवान पहुंचीं।
पेलोसी के ताइवान दौरे को लेकर चीन परेशान है और लगातार अमेरिका को गंभीर नतीजे भुगतने की धमकी दे चुका है। फिलहाल, दोनों देशों के बीच तनाव कम होने के आसार नहीं दिखाई दे रहे हैं।
ताइवान और अमेरिका भी तैयार
रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिका और ताइवान की सेनाएं चीन से निपटने के लिए तैयारी कर चुकी हैं। अमेरिकी नेवी के 4 वॉरशिप हाईअलर्ट पर हैं और ताइवान की समुद्री सीमा में गश्त कर रहे हैं। इन पर एफ-16 और एफ-35 जैसे हाईली एडवांस्ड फाइटर जेट्स और मिसाइलें मौजूद हैं। रीपर ड्रोन और लेजर गाइडेड मिसाइल भी तैयार हैं। अगर चीन की तरफ से कोई हिमाकत की गई तो अमेरिका और ताइवान उस पर दोनों तरफ से हमला कर सकती हैं।
कहा जा रहा है कि चीन ने कार्रवाई के लिए लॉन्ग रेंज हुडोंग रॉकेट और टैंक्स तैयार रखे हैं। उसके पास ताइवान स्ट्रेट में दूसरे मिलिट्री इंस्टॉलेशन्स भी हैं। इनका इस्तेमाल वो कर सकता है। हालांकि, अमेरिकी फौज की इन पर भी नजर है।
ताइवान को लेकर क्यों आमने-सामने हैं US और चीन
चीन वन-चाइना पॉलिसी के तहत ताइवान को अपना हिस्सा मानता है, जबकि ताइवान खुद को एक स्वतंत्र देश की तरह देखता है। चीन का लक्ष्य ताइवान को उनकी राजनीतिक मांग के आगे झुकने और चीन के कब्जे को मानने के लिए ताइवान को मजबूर करने का रहा है।
इधर, अमेरिका भी वन चाइना पॉलिसी को मानता है, लेकिन ताइवान पर चीन का कब्जा नहीं देख सकता। बाइडेन ने 2 महीने पहले कहा था- हम वन चाइना पॉलिसी पर राजी हुए, हमने उस पर साइन किया, लेकिन यह सोचना गलत है कि ताइवान को बल के प्रयोग से छीना जा सकता है। चीन का ये कदम न केवल अनुचित होगा, बल्कि यह पूरे क्षेत्र को अस्थिर कर देगा।
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