अफगानिस्तान पर तालिबानी कब्जे के 5 महीने के अंदर देश के आर्थिक हालात बहुत ज्यादा खराब हो गए हैं। दुनिया भर के देशों ने अफगानिस्तान को 20 साल से मिल रही विदेशी मदद रोक दी। इसका असर देश के बजट में देखने को मिला। 2020 में जहां अफगानिस्तान का बजट लगभग 41 हजार करोड़ रुपए का था वो अब सिर्फ 3,800 करोड़ रुपए रह गया है। बजट में लगभग 91% की कमी दर्ज की गई है।
पहले से ही गरीबी और सूखे का सामना कर रहे अफगानिस्तान की 70 हजार करोड़ रुपए की आर्थिक मदद रोक दी गई। अगस्त, 2021 के बाद से अब तक लगभग 8 लाख अफगान कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला है। तालिबान हुकूमत सिर्फ वेतन जारी करने का वादा ही कर रही है। इंटरनेशनल मार्केट में लगातार अफगानी मुद्रा की कीमत घट रही है।
1 करोड़ लोग भुखमरी का शिकार
संयुक्त राष्ट्र और ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ORF) की एक रिपोर्ट के मुताबिक 1 करोड़ लोग भुखमरी का शिकार हैं। जून 2022 तक देश की पौने चार करोड़ की आबादी में से 90% गरीबी की रेखा से नीचे पहुंच जाएगी। तालिबान कब्जे के बाद देश में 12वीं तक के लगभग 8 हजार स्कूलों में से 50% स्कूल बंद हैं। लगभग 150 सरकारी यूनिवर्सिटी भी 6 महीने से बंद पड़ी हैं।
मैकगिल यूनिवसिर्टी के एक ऑनलाइन पोल में 83% महिलाओं ने कहा है कि उन्हें दोपहर में भी घर से बाहर निकलने में डर लगता है। सर्वे में भाग लेने वाली महिलाओं की सुरक्षा के लिए सर्वे को दुबई के एक आईपी पोर्ट से संचालित किया गया। तालिबान राज से पहले अफगानिस्तान में अपना बिजनेस चलाने वाली महिलाएं भी इस सर्वे में शामिल हुईं।
95% महिलाएं अपना बिजनेस बंद कर चुकी हैं
मैकगिल यूनिवर्सिटी के मुताबिक, लगभग 95% महिलाएं अब अपना बिजनेस बंद कर चुकी हैं। बाकी की 5% महिलाएं चोरी-छिपे बिजनेस चला रही हैं। अफगानिस्तान में तालिबान हुकूमत से पहले सरकारी दफ्तरों के कुल कर्मचारियों में से लगभग 28% महिला कर्मचारी थीं। लेकिन अब इन महिला कर्मचारियों को दफ्तर नहीं जाने दिया जा रहा है। बुधवार को कुछ पूर्व महिला कर्मचारियों ने काबुल की सड़कों पर प्रदर्शन भी किया।
पाकिस्तान का 4 लाख शरणार्थियों से किनारा
आतंकवाद का फ्रंटफुट पर आकर समर्थन करने वाले पाकिस्तान ने तालिबान का भी खुलकर समर्थन किया था, लेकिन अब वो भी अपने यहां रह रहे 4 लाख अफगान शरणार्थियों से किनारा कर रहा है। हाल में 57 इस्लामी देशों की कॉन्फ्रेंस करा कर पाकिस्तान अपनी छवि चमकाने की नाकाम कोशिश कर चुका है। हालांकि, अभी तक कसी भी देश ने अफगानिस्तान को आर्थिक मदद नहीं दी।
15 हजार अफगान कर्मियोंं को नौकरी से निकाला
छठी कक्षा से ऊपर लड़कियों के स्कूल बंद कर दिए गए हैं। 40 प्राइवेट यूनिवर्सिटी में ही सीमित रूप से ही छात्राओं को क्लास अटेंड करने की अनुमति थी। लेकिन ये भी 2 माह से बंद हैं। वर्ल्ड बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान ने दुनिया भर में नियुक्त लगभग 15 हजार अफगान कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है। तालिबान सरकार इन्हें वेतन ही नहीं दे पा रही थी। ज्यादातर देशों में अफगानिस्तान के दूतावास बंद हैं।
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