अफगानिस्तान के पूर्व उप-राष्ट्रपति अब्दुल राशिद दोस्तम के बेटे यार मोहम्मद दोस्तम तालिबान के चंगुल से निकलकर मजार-ए-शरीफ अपने पिता के पास पहुंच गए हैं। यार मोहम्मद दोस्तम बुधवार रात जवज्जान एयरपोर्ट पर तालिबान की घेराबंदी में फंस गए थे। इसके बाद खबरें आईं थी कि यार मोहम्मद दोस्तम को कुछ अफगानी सैनिकों के साथ बंदी बना लिया गया है।
पूर्व उप राष्ट्रपति रशीद दोस्तम के एक करीबी सूत्र ने भास्कर को बताया, 'यार मोहम्मद दोस्तम को एयरपोर्ट पर चारों तरफ से तालिबान ने घेर लिया था, लेकिन उनके अगवा होने की खबर गलत थी। वहां भीषण लड़ाई के बाद यार मोहम्मद तालिबान की घेराबंदी से बाहर आ गए हैं। वे पूरी तरह से सुरक्षित हैं और मजार-ए-शरीफ में देर रात उनके पिता से उनकी मुलाकात भी हुई है।'
रशीद दोस्तम के बेटे की किडनैपिंग को अफगान सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा था। उनके सुरक्षित होने की खबर से अफगान सरकार को फिलहाल काफी राहत मिली है। अब्दुल रशीद दोस्तम उत्तरी अफगानिस्तान के बड़े नेता हैं। उन्होंने 90 के दशक में अफगानिस्तान में नॉर्दर्न अलायंस खड़ा किया था। इस्लामिक एमिरेट ऑफ अफगानिस्तान के काबुल पर कब्जा करने के बाद इसे अफगानिस्तान की मुक्ति के लिए बनाया गया था। इसका ऑफिशियल नाम यूनाइटेड इस्लामिक फ्रंट था। इस बार भी अब्दुल रशीद दोस्तम ने तालिबान के खिलाफ खुले युद्ध की घोषणा की है।
बुधवार को राष्ट्रपति ने की थी दोस्तम से मुलाकात
अफगानी राष्ट्रपति अशरफ गनी बुधवार को मजार-ए-शरीफ गए थे। यहां पर अशरफ गनी ने अब्दुल राशिद दोस्तम और बल्ख के पूर्व गर्वनर अता मुहम्मद नूर से शहर की सुरक्षा को लेकर बात की थी, क्योंकि तालिबान ने मजार-ए-शरीफ शहर के बाहरी इलाकों पर कब्जा कर लिया है। हालांकि मजार-ए-शरीफ शहर अब भी सुरक्षित है।
अगर मजार पर तालिबान का कब्जा हो गया तो यह काबुल सरकार के लिए बड़ा झटका होगा। इस शहर के साथ उत्तरी अफगानिस्तान पूरी तरह तालिबान के कब्जे में आ जाएगा। 1998 में तालिबान ने मजार पर कब्जा करने के बाद करीब 2000 लोगों की हत्या कर दी थी।
वॉरलॉर्ड कहे जाते हैं दोस्तम
अब्दुल राशिद दोस्तम 2014 में अफगानिस्तान के उप-राष्ट्रपति बने और 6 साल से ज्यादा समय तक इस पद पर रहे। उन पर अफगानिस्तान में वॉर क्राइम करने के आरोप लगे हैं। माना जाता है कि 9/11 के हमले के बाद अफगानिस्तान में तालिबानी सरकार को गिराने में दोस्तम अमेरिकी सेना के लिए मददगार साबित हुए थे।
अफगानिस्तान के उत्तरी इलाकों में तालिबान की बढ़ती पैठ को देखते हुए वे हाल ही में देश लौटे हैं। वे कई महीनों से तुर्की में अपना इलाज करा रहे थे। पिछले हफ्ते काबुल लौटने के बाद से वे जवज्जान प्रांत की राजधानी शेबरगन की सुरक्षा के बारे में अधिकारियों से बातचीत कर रहे हैं।
भारत के दिए चॉपर पर तालिबान ने कब्जा किया
भारत की तरफ से अफगानिस्तान को गिफ्ट किए गए MI-24 अटैक हेलिकॉप्टर पर बुधवार को तालिबान ने कब्जा कर लिया। भारत ने 2019 में अफगानिस्तान की एयरफोर्स को ऐसे 4 हेलिकॉप्टर गिफ्ट किए थे।
तालिबान ने बुधवार को कुंदुज एयरपोर्ट पर हमला किया था। इसी एयरपोर्ट पर भारत का दिया हुआ MI-24 चॉपर भी मौजूद था। हालांकि ये हेलिकॉप्टर उड़ने की हालत में नहीं है। अफगानिस्तान की एयरफोर्स ने इसका इंजन और दूसरे कलपुर्जे पहले ही निकाल लिए थे।
तालिबान ने हेलिकॉप्टर पर कब्जे की पुष्टि की
तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने दैनिक भास्कर से कहा कि तालिबान ने कुंदुज में हेलिकॉप्टर पर कब्जा कर लिया है। हालांकि उन्होंने इस बात की पुष्टि नहीं की है कि ये भारत से मिला हेलिकॉप्टर है या नहीं। इससे पहले दैनिक भास्कर से इंटरव्यू में मुजाहिद ने कहा था कि भारत सरकार अफगानिस्तान की सेना को लड़ाकू जहाज न दे, क्योंकि इनका इस्तेमाल तालिबान और आम लोगों पर हमलों के लिए किया जा रहा है।
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