मानवाधिकार संगठनों की आपत्ति के बावजूद बांग्लादेश की नौसेना ने मंगलवार को 1776 रोहिंग्या शरणार्थियों को ‘एकांत’ द्वीप भेजा। उन्होंने चटगांव के बंदरगाह से पांच जहाजों के जरिए भासन चार द्वीप ले जाया गया। शरणार्थी तीन घंटे में वहां पहुंच गए।
इसे लेकर मानवाधिकार संगठनों का आरोप है- ‘शरणार्थियों पर दबाव बनाया गया। बांग्लादेश रोहिंग्याओं को आइलैंड पर कैद करना चाहता है।’ उधर, प्रधानमंत्री कार्यालय से जारी बयान के मुताबिक, ‘सरकार वहां सिर्फ 700 रोहिंग्याओं को भेजना चाहती थी। लेकिन 1500 लोग स्वेच्छा से वहां जाने के लिए तैयार हो गए। इसलिए सिर्फ उन्हीं लोगों को भेजा गया, जो वाकई द्वीप पर रहना चाहते हैं। उन पर किसी प्रकार का दबाव नहीं बनाया गया।
स्थानीय मीडिया के मुताबिक, बांग्लादेश ने 825 करोड़ रुपए खर्च कर 20 साल पुराने भासन चार द्वीप को रेनोवेट किया है। यहां करीब एक लाख रोहिंग्या शरणार्थियों को बसाया जा रहा है। यह द्वीप भू-भाग से 34 किमी दूर है। मालूम हो, बांग्लादेश की आबादी 16.15 करोड़ है। लेकिन यहां के कॉक्स बाजार जिले में करीब 8 लाख से ज्यादा रोहिंग्या शरणार्थी रह रहे हैं। इनमें से ज्यादातर शरणार्थी म्यांमार के हैं।
मानसून की बारिश में डूब जाता है द्वीप
भासन चार द्वीप 20 साल पहले अस्तित्व में आया था। यह बारिश में अक्सर यह डूब जाता है। लेकिन बांग्लादेश की नौसेना ने 11.2 करोड़ डॉलर (करीब 825 करोड़ रु.) की लागत से द्वीप के तटबंधों की मरम्मत की। मकानों, अस्पतालों और मस्जिदों का निर्माण किया। इससे पहले अधिकारियों ने 4 दिसंबर को 1642 रोहिंग्या शरणार्थियों को द्वीप पर भेजा था। इसे लेकर मानवाधिकार संगठनों ने विरोध जताया था।
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