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बच्चों पर पड़ता है पेरेन्ट्स की हेल्थ का असर:हेल्दी लाइफस्टाइल जीने वाली मांओं की बेटियों में डिप्रेशन का खतरा कम, पर लड़कों में ऐसा नहीं

वॉशिंगटन2 महीने पहले
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माताओं की जीवन शैली और व्यवहार उनकी संतानों की जीवन शैली से सीधे तौर पर जुड़ा है। - Dainik Bhaskar
माताओं की जीवन शैली और व्यवहार उनकी संतानों की जीवन शैली से सीधे तौर पर जुड़ा है।

भागदौड़ भरी जिंदगी में हेल्दी रहना बेहद जरूरी है, क्योंकि इसका असर आपके बच्चों के स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। जिन माताओं की हेल्दी लाइफ स्टाइल होती है, उनकी बेटियों में डिप्रेशन के लक्षण कम होते हैं। हालांकि लड़कों पर इस तरह का कोई असर नहीं पड़ता है।

युवाओं में विकलांगता का प्रमुख कारण डिप्रेशन
दरअसल, पिछले कुछ सालों में किशोरों में डिप्रेशन तेजी से बढ़ रहा है। अमेरिका में 2005 में 8.7% किशोर डिप्रेशन के शिकार थे। यह आंकड़ा 2014 में बढ़कर 11.3% हो गया। वहीं 50% किशोरों ने डिप्रेशन के अलावा इससे जुड़े अन्य मानसिक विकारों से जूझने की बात स्वीकारी। युवाओं में विकलांगता का प्रमुख कारण भी डिप्रेशन बन रहा है।

प्रमुख शोधकर्ता वी-चेन वांग ने शोध में बताया कि स्वस्थ आहार, धूम्रपान न करना, शारीरिक रूप से सक्रिय रहना, सामान्य बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) और शराब के सेवन से बचने से डिप्रेशन में कमी हो जाती है। यह जानने के लिए 10,368 अलग-अलग पेशे की 25 से 45 वर्ष की महिलाओं का डेटा एकत्र किया गया था।

पिता के डिप्रेशन का बच्चे के विकास पर असर
1989 से कलेक्ट किए गए इस डेटा के विश्लेषण में सामने आया कि माताओं की जीवन शैली और व्यवहार उनकी संतानों की जीवन शैली से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है। हालांकि माता के मोटा होने पर बेटियों में डिप्रेशन की आशंका भी कम ही होती है।

पिता के डिप्रेशन का बड़े होते बच्चों पर गहरा असर पड़ता है। फिर चाहे वह बच्चा अनुवांशिक रूप से पिता से जुड़ा हो या फिर गोद लिया गया हो। पिता यदि डिप्रेशन में हो तो बच्चों को विकास के लिए सही वातावरण नहीं मिल पाता है।

बच्चे पैरेंट्स के व्यवहार की नकल करते हैं
बच्चे अनजाने में पैरेंट्स के व्यवहार की नकल करते हैं। कई बार इसे आत्मसात भी कर लेते है। कई बार उसे अपने अनुसार बदलकर उसके अनुसार व्यवहार भी करने लगते हैं। इसका किशोरावस्था और वयस्क होने पर ज्यादा प्रभाव पड़ता है।