चीन के तकलामाकन रेगिस्तान में गुंबदों में मिली लगभग 4000 साल पुरानी 300 ममी का राज खुल गया है। अब तक वैज्ञानिक मानते थे कि ये लोग चीन के पश्चिम में काला सागर क्षेत्र से आए थे। क्योंकि इन ममी के चेहरे की बनावट और कपड़े पश्चिमी प्रतीत होते थे। कई वर्षों तक वैज्ञानिक ये मानते रहे कि ये ममी चीन के मूल निवासियों की नहीं है। वैज्ञानिक शोध जारी रहे।
अब ये खुलासा हुआ है कि ये लोग यूरेशिया से यहां आकर बसे थे। राज खोल इन ममी की पड़ताल में पाए गए केफिर पनीर ने। ये पनीर और ममी पर पाए गए कपड़ों और एपिडरा नामक औषधीय पौधों के अवशेष पाए गए हैं। चीन के चैंगचुन की जिलिन यूनिवसिर्टी के प्रो. यीगयूई चुई के अनुसार ये बहुत बड़ी खोज है। इससे मानवीय बसावट के बारे में पता चला है। साथ ही बरसों से चली आ रही वैज्ञानिक सोच में भी बदलाव हुआ है।
पलायन करीब 11 हजार साल पहले हुआ
वैज्ञानिकों ने इन ममी के जैनेटिक एनालिसिस से नए और प्रमाणिक तथ्य जुटाए हैं। चीन के उत्तर में स्थित यूरेशिया से इन लोगों का पलायन लगभग 11 हजार साल पहले हुआ था। ये लोग उत्तर से आकर चीन के तकलामाकन के रेगिस्तान में बसे थे। चीन में 1990 के दशक में लगभग 300 ममी की खोज हुई थी।
अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों के समूह ने सैंपल के रूप में 13 ममी की पड़ताल की। इनके डीएनए सैंपल भी लिए गए। मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट के बयान के अनुसार तकलामाकन रेगिस्तान में फली-फूल ये सभ्यता काफी हद तक शहरी थी। इन लोगों के बाहरी दुनिया से अच्छे संबंध थे। व्यापारिक लेन-देन भी होता था।
ब्यूटी ऑफ शियाहाेई ने वैज्ञानिकों को बरगलाया था
एक महिला की ममी को ब्यूटी ऑफ शियाहोई का नाम दिया गया। इसके भूरे बाल और वेशभूषा के कारण वैज्ञानिक मानते थे कि ये लोग पश्चिम के काला सागर क्षेत्र से आए थे। लेकिन अब ये धारणा गलत साबित हो गई है।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.