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बीते साल कोरोना संक्रमण के चलते नेपाल ने पवर्तारोहण पर रोक लगा दी थी। इसका सीधा असर देश के पर्यटन पर पड़ा। लेकिन अब माउंट एवरेस्ट सहित सात चोटियां पर्वतारोहियों के लिए खोल दी गई हैं। हालांकि कोरोना संक्रमण की मौजूदा स्थिति को देखते हुए कई नियम भी लागू किए गए हैं। इसमें टेस्टिंग, मास्क और आपस की दूरी अनिवार्य की गई है। माउंट एवरेस्ट बेस कैंप में मेडिकल टीम लगाई गई है जो संक्रमित पर्वतारोहियों का ध्यान रखेगी।
इस बार एवरेस्ट पर 19 लोगों को ले जाने वाली एजेंसी पॉयनियर एडवेंचर के एमडी लक्पा शेरपा कहते हैं, ‘इस बार न पार्टी होगी और न टीम एक-दूसरे से गले मिल पाएगी। बस दूर से ‘नमस्ते’ होगा। मार्च से मई तक चलने वाले इस सीजन में दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट के लिए 300 पवर्तारोहियों को लाइसेंस जारी किए गए हैं।
नेपाल पर्यटन विभाग के प्रमुख रुद्रसिंह तमांग कहते हैं, ‘हमारे पास इसके अलावा कोई विकल्प नहीं। पर्वतारोहण से चलने वाली अर्थव्यवस्था को हमें बचाना ही होगा।' नियमों के तहत, नेपाल आने वाले हर विदेशी पर्वतारोही के लिए काठमांडू एयरपोर्ट पर आरटी-पीसीआर की निगेटिव रिपोर्ट या वैक्सीनेशन का सर्टिफिकेट दिखाना अनिवार्य किया है।
एक साल से आलू पैदाकर गुजारा कर रहे हैं शेरपा
नेपाल ने कोरोना के दौर में काफी कुछ खोया है। कई नेपालियों के लिए तीन महीने का पर्वतारोहण सीजन सालभर की आय का एकमात्र जरिया भी है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, बीते साल कोरोना के चलते देश की तीन करोड़ आबादी में से 15 लाख लोगों का रोजगार छिन गया। एवरेस्ट पर चढ़ाई करने के लिए आने वाले विदेशी पर्वतारोहियों पर प्रतिबंध लगने से यहां के छोटे कामगारों को भी नुकसान हुआ।
जो सामान लाने-ले जाने या दूसरी जरूरतें मुहैया कराकर पेट पालते है। इसके अलावा शेरपा समुदाय, जो तकरीबन हर एवरेस्ट टीम का अनिवार्य सदस्य होता है, उन्हें भी अपने गांव वापस लौटना पड़ा। बीते एक साल से वे सभी आलू पैदाकर अपना गुजारा कर रहे हैं।
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