अमेरिका मे उच्च सदन सीनेट के चार सांसदों ने डोनाल्ड ट्रम्प पर एच-1बी वीजा और विदेशी स्टूडेंट्स के इंटर्नशिप के लिए वीजा सस्पेंड करने का दबाव डाला है। उन्होंने अमेरिकी नागरिकों की नौकरी बचाने के लिए यह सुझाव दिए हैं। ट्रम्प अगर यह कदम उठाते हैं तो भारतीयों पर इसका बुरा असर पड़ेगा। अमेरिका में ग्रेट डिप्रेशन के बाद इतनी बेरोजगारी कभी नहीं आई है।
सांसदों ने शुक्रवार को ट्रम्प को पत्र लिखा। इसमें उन्होंने लेबर डिपार्टमेंट की रिपोर्ट दी। इसमें बताया गया है कि कोरोना महामारी ने अप्रैल में दो करोड़ नौकरियां नष्ट कर दी हैं। इसके चलते 14.7% बेरोजगारी आ गई है।
उन्होंने कहा कि विदेशों से आने वाले वर्करों के वीजा कम से कम एक साल के लिए सस्पेंड कर देना चाहिए। अमेरिका के खुद के नागरिकों के लिए नौकरियों की कमी हो गई है, सीमित रोजगार में अतिरिक्त विदेशी कर्मचारियों को नहीं स्वीकार करना चाहिए। वीजा सस्पेंशन की मांग करने वालों में चक ग्रेसली, टॉम कॉटन, टेड क्रूज और जोश हॉले शामिल हैं।
सांसदों ने इन वीजा को सस्पेंड करने की मांग की
वीजा के संस्पेंशन से भारत पर असर पड़ेगा
एच-2बी वीजा को छोड़कर अन्य सभी वीजा के संस्पेशन से भारतीयों पर असर पड़ेगा। एच-2बी वीजा खासतौर पर मैक्सिको के प्रवासी मजदूरों के काम आता है। अमेरिका में हर साल 10 कर्मचारी विदेशों से आते हैं। अमेरिकी सांसदों ने कहा कि बेरोजगारी की दर इतनी ज्यादा है कि इन कर्मचारियों को वीजा देने का कोई कारण नहीं है।
पिछले साल ओटीपी वीजा वालों में 40% भारतीय
ओटीपी वीजा के सस्पेंड होने से भारतीय छात्रों में पर असर पड़ेगा। हर साल भारत से कई स्टूडेंट फॉरेन स्टूडेंट वीजा पर अमेरिका ग्रेजुएशन के लिए जाते हैं। ग्रेजुएशन होने के बाद अमेरिका उनके वीजा में विस्तार करता है। इसे ही ओटीपी वीजा कहते हैं। इसके तहत विदेशी छात्र एक से तीन साल तक अमेरिका इंटर्नशिप कर सकते हैं। 2019 में अमेरिका में विदेश के दो लाख 23 हजार स्टूडेंट ऐसे थे, जिन्हें ग्रेजुएशन के बाद ओटीपी वीजा मिला था, इसमें 40 प्रतिशत लगभग भारतीय थे।
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