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कोविड-19 की तीसरी लहर से जूझते दक्षिण कोरिया में गुरुवार को 4,93,430 छात्र-छात्राओं ने यूनिवर्सिटी-एंट्रेंस एग्जाम दिया। इसमें कोरोना संक्रमित 35 और 2 हफ्ते से आइसोलेशन में रह रहे 3,775 छात्र-छात्राएं भी शामिल हुए। दक्षिण कोरिया दुनियाभर में परीक्षा लेने के तरीके के लिए कुख्यात है। सामान्य वर्षों में एग्जाम डे पर पूरा देश थम जाता है। सभी बैंक, बिजनेस और सरकारी दफ्तर एक घंटा देरी से खुलते हैं, ताकि ट्रैफिक जाम न हो और छात्र आसानी से सेंटर पहुंच सकें।
सभी उड़ानें रोक दी जाती हैं, ट्रेनें-बसें थम जाती हैं। मिलिट्री गन आधे घंटे के लिए शांत रहती हैं, ताकि बच्चे एकाग्र होकर परीक्षा दे सकें। यही नहीं, सड़क पर माेटरसाइकिल सवार ऐसे कई वॉलंटियर भी तैनात रहते हैं, जो बच्चों को एग्जाम सेंटर तक पहुंचाने में मदद करते हैं। इस वर्ष कोरोना संक्रमण के चलते सरकार को विशेष इंतजाम करने पड़े, ताकि परीक्षा सुपर-स्प्रेडर इवेंट न बन जाए।
स्वास्थ्य कर्मचारियों ने सभी 31 हजार कक्षाओं को बार-बार डिसइंफेक्ट किया। कक्षा में प्रवेश से पहले सभी छात्रों का तापमान जांचा गया। यही नहीं, कक्षाओं में हर डेस्क को प्लास्टिक की शीट से अलग-अलग किया गया था। परीक्षार्थियों को परीक्षा में पूरे समय मास्क पहनकर बैठना पड़ा। सरकारी क्लिनिक अतिरिक्त समय खुले, ताकि स्टूडेंट्स का कोरोना टेस्ट किया जा सके।
पैरेंट्स ने एग्जाम सेंटर के गेट पर चीयर करने के बजाय मंदिरों में प्रार्थना की
आम तौर पर घबराए माता-पिता एग्जाम सेंटर के गेट पर खड़े होकर बच्चों का उत्साह बढ़ाते हैं, लेकिन इस साल उन्हें स्कूल गेट के बाहर इंतजार करने से रोक दिया गया था। इसलिए इस बार माता-पिता ने मंदिरों में बच्चों का पर्चा अच्छा होने की प्रार्थना की। देशभर के 1,380 केंद्रों पर आयोजित परीक्षा करीब 9 घंटे चली।
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