अमेरिका की संसद में कई सांसदों ने 40 हजार विदेशी डॉक्टरों और नर्सों को अनयूज्ड ग्रीन कार्ड देने के लिए एक बिल पेश किया है। बिल में कहा गया है कि अमेरिका को डॉक्टरों और नर्सों की तत्काल जरूरत है, ऐसे में हमें ग्रीन कार्ड जारी करने चाहिए। इन 40 हजार मेडिकल वर्करों में 25 हजार नर्सें और 15 हजार डॉक्टर शामिल हैं।
अगर यह बिल पास होकर कानून में बदलता है तो बड़ी संख्या में उन भारतीय डॉक्टरों और नर्सों को फायदा मिलेगा, जिनके पास एच-1बी या जे2 वीजा हैं। जानकारों के अनुसार, 'द हेल्थकेयर वर्कफोर्स रेसिलिएंस एक्ट' के तहत ये ग्रीन कार्ड उन्हें जारी किए जा सकेंगे जिन्हें पिछले कुछ सालों में संसद ने मंजूरी तो दी थी मगर उन्हें किसी को दिया नहीं गया था।
इन सांसदों ने पेश किया बिल
अमेरिकी संसद के निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में सांसद एबी फिनकेनॉर, ब्रैड साइडर, टॉम कॉले और डॉन बैकन ने इस बिल को पेश किया है। अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन, द हेल्थकेयर लीडरशिप काउंसिल, यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स, द अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ इंटरनेशनल हेल्थकेयर रिक्रूटमेंट, द अमेरिकन हॉस्पिटल एसोसिएशन, अमेरिकन ऑर्गनाइजेशन फॉर नर्सिंग लीडरशिप जैसे कई संगठनों ने इस बिल का समर्थन किया है।
भारतीयों में बहुत प्रचलित है एच-1 बी वीजा
एच-1बी एक नॉन इमिग्रेंट वीजा है, जिसके जरिए अमेरिकी कंपनियां दूसरे देशों से टेक्नोलॉजी प्रोफेशनल्स को हायर करती है। सरकार के आदेशानुसार, यूएस सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज हर साल कुशल विदेशी कर्मचारियों के लिए 65 हजार एच-1बी वीजा जारी करती है। वहीं, अन्य 20 हजार वीजा एप्लीकेशन्स में वो लोग शामिल होते हैं, जिन्होंने अमेरिकी संस्था से मास्टर्स या कोई बड़ी डिग्री ली हो। एच-1बी वीजा धारकों में सबसे ज्यादा कर्मचारी भारत और चीन से होते हैं।
ग्रीन कार्ड को समझिए
अमेरिका की स्थायी नागरिकता पाने के लिए अमेरिका की अनुमति लेनी जरूरी है। इस अनुमति को ही ग्रीन कार्ड कहा जाता है | ग्रीन कार्ड को परमानेंट रेजीडेंट कार्ड माना जाता है। यह कार्ड इस बात का सबूत है कि व्यक्ति को स्थायी रूप से निवास करने का अधिकार मिला हुआ है। अमेरिका हर साल 1 लाख 40 हजार ग्रीन कार्ड जारी करता है, इसमें एक देश को सात फीसदी से अधिक ग्रीन कार्ड जारी नहीं किए जाते हैं। भारत को एक वित्त वर्ष में केवल 9800 ग्रीन कार्ड ही मिल सकते हैं।
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