अमेरिकी सरकार ने कोरोनावायरस के चलते एच-1बी वीजाधारकों और ग्रीनकार्ड आवेदकों को 60 दिन की छूट दी है। हालांकि, यह छूट सिर्फ उन लोगों को दी गई है, जिन्हें दस्तावेजों को जमा करने के चलते नोटिस दिया गया है। अमेरिका में कोरोनावायरस से स्थिति गंभीर है। देश में 11 लाख से ज्यादा संक्रमित हैं, करीब 66 हजार लोगों की जान जा चुकी है।
अमेरिकी सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज (यूएससीआईएस) ने शनिवार को कहा कि आवेदकों को 60 दिन का ग्रेस पीरियड दिया जाएगा। छूट में जिन लोगों को शामिल किया गया है, इसमें आवेदक अपने दस्तावेज-सबूत जमा कर सकेंगे, अपना आवेदन वापस या फिर उसे निरस्त कर सकेंगे। अमेरिकी इमिग्रेशन सर्विस ने बयान में यह भी कहा कि हम अमेरिकियों की नौकरियों की सुरक्षा करना चाहते हैं।
अप्रैल में भी ट्रम्प सरकार ने राहत दी थी
अप्रैल में भी अमेरिकी सरकार ने एच-1बी वीजाधारकों का वीजा विस्तार करने का फैसला लिया था। सरकार ने ऐसे एच-1बी वीजाधारकों से आवेदन मांगे थे, जिनका वीजा परमिट खत्म हो रहा था और ये लोग कोरोना के चलते देश से निकल नहीं पाए। ऐसे लोगों को रुकने के लिए अतिरिक्त समय दिया गया।
क्या है एच-1बी वीजा?
एच-1 बी वीजा गैर-प्रवासी वीजा है। अमेरिकी कंपनियां इसके तहत दूसरे देशों के टेक्निकल एक्सपर्ट्स को नियुक्त करती हैं। नियुक्ति के बाद सरकार से इन लोगों के लिए एच-1बी वीजा मांगा जाता है। अमेरिका की ज्यादातर आईटी कंपनियां हर साल भारत और चीन जैसे देशों से लाखों कर्मचारियों की नियुक्ति इसी वीजा के जरिए करती हैं। नियम के अनुसार, अगर किसी एच-1बी वीजाधारक की कंपनी ने उसके साथ कांट्रैक्ट खत्म कर लिया है तो वीजा स्टेटस बनाए रखने के लिए उसे 60 दिनों के अंदर नई कंपनी में जॉब तलाशना होगा। यूएससीआईएस के मुताबिक, एच-1बी वीजा के सबसे बड़े लाभार्थी भारतीय ही हैं।
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