अमेरिकी संसद की स्पीकर नैंसी पेलोसी ताइवान के बाद साउथ कोरिया पहुंच गई हैं। US डेलिगेशन के साथ पेलोसी 2 अगस्त को ताइपेई पहुंची थीं। बुधवार को उन्होंने ताइवान की संसद को संबोधित किया, राष्ट्रपति साई इंग वेन से भी मुलाकात की।
इस दौरान पेलोसी ने कहा- सुरक्षा के मुद्दे पर अमेरिका ताइवान का साथ देगा। हम हर पल उनके साथ है। हमें ताइवान से दोस्ती पर गर्व है। हमने 43 साल पहले ताइवान के साथ खड़े रहने का वादा किया था, आज भी उस पर कायम हैं।
दूसरी तरफ, न्यूज एजेंसी एएफपी ने एक अहम खबर दी। एजेंसी के मुताबिक, पेलोसी के ताइवान से लौटते ही चीन के 27 फाइटर जेट्स ताइवान के एयर डिफेंस जोन में घुस गए। अब तक ताइवान सरकार की तरफ से इसकी पुष्टि नहीं की गई है।
पाकिस्तान अब भी चीन के साथ
IMF और FATF के जाल में फंसे पाकिस्तान ने बुधवार को नैंसी की ताइवान विजिट का विरोध किया। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा- हम वन चाइना पॉलिसी का समर्थन करते हैं। पहले भी चीन के साथ खड़े थे और आगे भी खड़े रहेंगे। पिछले हफ्ते ही पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल बाजवा ने अमेरिकी की उप विदेश मंत्री वेंडी शरमन से गुहार लगाई थी कि वो IMF पर दबाव डालकर कर्ज दिलाएं।
अहम अपडेट्स-
चीन ने ताइवान पर लगाए आर्थिक प्रतिबंध
इधर, पेलोसी की विजिट से बौखलाए चीन ने ताइवान के लिए आर्थिक परेशानियां खड़ी करना शुरू कर दिया है। चीनी सरकार ने ताइवान को नेचुरल सैंड के देने पर रोक लगा दी है। इससे ताइवान को काफी नुकसान हो सकता है। कोरोना महामारी के बाद से कंस्ट्रक्शन और इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट ताइवान के लिए इनकम का सोर्स बन गया है। ऐसे में रेत का निर्यात रोकने से ताइवान को आर्थिक नुकसान होगा। 1 जुलाई को भी चीन ने ताइवान के 100 से ज्यादा फूड सप्लायर से आयात (इम्पोर्ट) पर प्रतिबंध लगाया था।
पेलोसी की विजिट से नाखुश चीन क्या कर सकता है?
ताइवान के चारों ओर सैन्य अभ्यास करेगा चीन
चीन के खिलाफ ताइवान और अमेरिका तैयार
पेलोसी के ताइवान पहुंचने पर चीन ने ताइवान के पूर्व में समुद्र में मिसाइलों का परीक्षण किया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिका और ताइवान की सेनाएं चीन से निपटने के लिए तैयार हैं। अमेरिकी नेवी के 4 वॉरशिप हाईअलर्ट पर हैं और ताइवान की समुद्री सीमा में गश्त कर रहे हैं। इन पर एफ-16 और एफ-35 जैसे हाईली एडवांस्ड फाइटर जेट्स और मिसाइलें मौजूद हैं। रीपर ड्रोन और लेजर गाइडेड मिसाइलें भी तैयार हैं। अगर चीन की तरफ से कोई हिमाकत की गई तो अमेरिका और ताइवान उस पर दोनों तरफ से हमला कर सकते हैं।
ताइवान की डेमोक्रेसी के समर्थन में US
ताइवान पहुंचने पर पेलोसी ने कहा था कि अमेरिका ताइवान की डेमोक्रेसी का समर्थन करना जारी रखेगा। ताइवान के 2.30 करोड़ नागरिकों के साथ अमेरिका की एकजुटता आज पहले से कहीं अधिक अहम है, क्योंकि दुनिया ऑटोक्रेसी (निरंकुशता) और डेमोक्रेसी के बीच एक विकल्प का सामना कर रही है। वहीं, चीन ने इस दौरे की निंदा करते हुए कहा है कि US आग से खेलना बंद करे। पढ़ें पूरी खबर...
ताइवान पर तनातनी क्यों?
चीन वन-चाइना पॉलिसी के तहत ताइवान को अपना हिस्सा मानता है, जबकि ताइवान खुद को एक स्वतंत्र देश की तरह देखता है। चीन का लक्ष्य ताइवान को उनकी राजनीतिक मांग के आगे झुकने और चीन के कब्जे को मानने के लिए ताइवान को मजबूर करने का रहा है।
इधर, अमेरिका भी वन चाइना पॉलिसी को मानता है, लेकिन ताइवान पर चीन का कब्जा नहीं देख सकता। बाइडेन ने 2 महीने पहले कहा था- हम वन चाइना पॉलिसी पर राजी हुए, हमने उस पर साइन किया, लेकिन यह सोचना गलत है कि ताइवान को बल के प्रयोग से छीना जा सकता है। चीन का ये कदम न केवल गलत होगा, बल्कि यह पूरे क्षेत्र को एक तरह की नई जंग में झोंक देगा।
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