फिलीपींस के 4 सैन्य ठिकानों पर अब अमेरिका की पहुंच होगी। अमेरिकी डिफेंस मिनिस्टर लॉयड ऑस्टिन ने गुरुवार को मनीला पहुंचे और फिलीपींस के राष्ट्रपति बोंगबोंग मार्कोस से मुलाकात की। इस दौरान दोनों देशों ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसके बाद ऑस्टिन ने ऐलान किया कि फिलीपींस के 4 मिलिट्री बेस पर अमेरिकी फौज तैनात की जाएगी। चीन के लिए यह बहुत बड़ा झटका है।
फिलीपींस में पहुंच के साथ ही अमेरिका अब ताइवान को लेकर चारों तरफ से चीन पर नजर रख सकेगा। इसे ऐसे समझिए कि नॉर्थ में जापान-साउथ कोरिया में अमेरिका पहले ही मौजूद है। साउथ में ऑस्ट्रेलिया मौजूद है और यहां भी अमेरिकी सेना है। अब फिलीपींस का रास्ता भी चीन के लिए बंद हो जाएगा, क्योंकि यहां भी अमेरिकी फौज मौजूद रहेगी।
अमेरिकी पहुंच वाले मिलिट्री बेस के नाम नहीं बताए
अमेरिका ने कहा कि इसके जरिए फिलीपींस में मानवीय और क्लाइमेट-संबंधी इमरजेंसी में मदद पहुंचाना आसान हो जाएगा। साथ ही दूसरी चुनौतियों से निपटने में भी मदद मिलेगी। हालांकि, फिलीपींस के किन-किन मिलिट्री बेस पर अमेरिका की पहुंच होगी, इसका ऐलान नहीं किया गया है।
फिलीपींस में थे 15 हजार से ज्यादा अमेरिकी सैनिक
इस समझौते को 30 साल से ज्यादा समय के बाद फिलीपींस में अमेरिका की वापसी के तौर पर देखा जा रहा है। दरअसल, 1950 के दौर में वियतनाम और कोल्ड वॉर के दौरान अमेरिका के फिलीपींस में क्लार्क फील्ड और सूबिक बे के पास 2 बड़े मिलिट्री बेस थे। यहां 15 हजार से ज्यादा अमेरिकी सैनिक तैनात थे।
वापस बुला ली थी आर्मी
1991 में फिलीपीन्स के लोगों ने तानाशाह फर्डिनेंड मार्कोस को हटाकर देश में लोकतंत्र की स्थापना की। वियतनाम वॉर काफी पहले खत्म हो चुका था और कोल्ड वॉर भी खत्म होने की कगार पर था। साथ ही चीनी मिलिट्री तब इतनी ताकतवर नहीं थी, जिसे देखते हुए 1992 में अमेरिका ने फिलीपींस से अपनी सेना को वापस बुला लिया।
गलत साबित हुआ अमेरिकी फौज का सोच
अब 30 साल बाद मार्कोस परिवार की सत्ता में वापसी हो गई है। वहीं चीनी सेना दुनिया की सबसे ताकतवर सेनाओं में शामिल है। साथ ही चीन लगातार साउथ चाइना सी में अपने मिलिट्री बेस बढ़ा रहा है। 2014 के बाद से चीन ने फिलीपींस के अपने एक्सक्लूजिव इकोनॉमिक जोन में मिसचीफ रीफ सहित 10 अन्य जगहों पर आर्टिफिशियल आइलैंड बेस बना लिए हैं। इससे पहले 2012 में उसने फिलीपींस के स्कारबोरोह शोल पर कब्जा करने की भी कोशिश की थी। चीन की तरफ से बढ़ते खतरे को देखते हुए फिलीपींस ने फिर से अमेरिका का रुख किया है।
हालांकि, एक्सपर्ट्स के मुताबिक, फिलीपींस जापान और ऑस्ट्रेलिया की तरह खुले तौर पर चीन का विरोध नहीं कर रहा है। वो चीन की सैन्य ताकत को देखते हुए अमेरिका से मदद लेने के साथ ही चीन से भी अपने इकोनॉमिक संबंधों को बनाए रखने की कोशिश कर रहा है।
घरेलू सियासत से निपटना होगा
फिलीपींस सरकार ने भले ही अमेरिका को 4 मिलिट्री बेस इस्तेमाल करने की मंजूरी दे दी हो, लेकिन इसका विरोध भी हो रहा है। दरअसल, फिलीपींस की सियासत में अब भी लेफ्ट विंग का दखल है। यह पारंपरिक तौर पर चीन का समर्थक और अमेरिका का विरोधी है। लिहाजा, उसने अमेरिका को मिलिट्री बेस दिए जाने का विरोध किया है और वो सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। हालांकि, सरकार को पहले ही इसका अंदाजा था। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि इस विरोध में ज्यादा दम नहीं है और यह बहुत जल्द दम तोड़ देगा। इसके बाद चीन को फिलीपींस में समर्थन मिलना नामुमकिन हो जाएगा और तब तक अमेरिकी सेना यहां पहुंच चुकी होगी।
ये खबरें भी पढ़ें...
2025 में हो सकता है चीन-अमेरिका युद्ध:US एयरफोर्स जनरल ने जताई आशंका, कहा- 2024 में होने वाले चुनाव चीन को उकसा सकते हैं
अमेरिका के 4-स्टार एयरफोर्स जनरल माइक मिनिहन ने आशंका जताई है कि अगले दो साल में अमेरिका और चीन के बीच युद्ध हो सकता है। अपने डिपार्टमेंट को 1 फरवरी के लिए लिखे एक मेमो में जनरल ने ये बात कही। पूरी खबर पढ़ें...
ताइवान पर US-चीन में जंग का खतरा:बाइडेन की वॉर्निंग के बावजूद हमला कर सकता है ड्रैगन, कितना मुश्किल है ताइवान पर कब्जा करना
अमेरिकी संसद की स्पीकर नैंसी पेलोसी पिछले साल ताइवान विजिट पर गई थीं, जिसे लेकर चीन काफी परेशान था। 1997 के बाद पहली बार (25 साल बाद) अमेरिका के इतने बड़े ओहदेदार ने इस देश की यात्रा की थी। अमेरिका किसी भी सूरत में ताइवान को चीन के हाथों में जाते नहीं देख सकता। यही टकराव की वजह भी है। पूरी खबर पढ़ें...
ताइवान पर हमले की आशंका:रूस के बाद अब चीन दुनिया का संकट बढ़ाने पर तुला
दुनिया के दो कम्युनिस्ट देश, खासकर तानाशाह देश, पूरी धरती के लिए आफत बने हुए हैं। रूस ने यूक्रेन को दबोचने के लालच में दुनियाभर में अनाज और तेल का संकट पैदा कर रखा है। और अब चीन, ताइवान को दबोचने की कोशिश में लगा हुआ है। अगर ताइवान पर हमला होता है तो दुनियाभर की मोबाइल और ऑटो इंडस्ट्री में चिप का संकट खड़ा हो जाएगा जो कि सबसे बड़ा होगा। पूरी खबर पढ़ें...
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.