फिलीपींस के 4 मिलिट्री बेस पर आर्मी तैनात करेगा US:चीन को चारों तरफ से घेरने की तैयारी, ताइवान-साउथ चाइना पर भी नजर

मनीला/वॉशिंगटन2 महीने पहले
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फिलीपींस के जाम्बोआंगा प्रांत में कैंप डॉन बेसिलियो नवारो में फिलीपींस के पश्चिमी मिंडानाओ कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल रॉय गैलिडो के साथ अमेरिकी डिफेंस मिनिस्टर लॉयड ऑस्टिन(दाएं) - Dainik Bhaskar
फिलीपींस के जाम्बोआंगा प्रांत में कैंप डॉन बेसिलियो नवारो में फिलीपींस के पश्चिमी मिंडानाओ कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल रॉय गैलिडो के साथ अमेरिकी डिफेंस मिनिस्टर लॉयड ऑस्टिन(दाएं)

फिलीपींस के 4 सैन्य ठिकानों पर अब अमेरिका की पहुंच होगी। अमेरिकी डिफेंस मिनिस्टर लॉयड ऑस्टिन ने गुरुवार को मनीला पहुंचे और फिलीपींस के राष्ट्रपति बोंगबोंग मार्कोस से मुलाकात की। इस दौरान दोनों देशों ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसके बाद ऑस्टिन ने ऐलान किया कि फिलीपींस के 4 मिलिट्री बेस पर अमेरिकी फौज तैनात की जाएगी। चीन के लिए यह बहुत बड़ा झटका है।

फिलीपींस में पहुंच के साथ ही अमेरिका अब ताइवान को लेकर चारों तरफ से चीन पर नजर रख सकेगा। इसे ऐसे समझिए कि नॉर्थ में जापान-साउथ कोरिया में अमेरिका पहले ही मौजूद है। साउथ में ऑस्ट्रेलिया मौजूद है और यहां भी अमेरिकी सेना है। अब फिलीपींस का रास्ता भी चीन के लिए बंद हो जाएगा, क्योंकि यहां भी अमेरिकी फौज मौजूद रहेगी।

अमेरिकी पहुंच वाले मिलिट्री बेस के नाम नहीं बताए
अमेरिका ने कहा कि इसके जरिए फिलीपींस में मानवीय और क्लाइमेट-संबंधी इमरजेंसी में मदद पहुंचाना आसान हो जाएगा। साथ ही दूसरी चुनौतियों से निपटने में भी मदद मिलेगी। हालांकि, फिलीपींस के किन-किन मिलिट्री बेस पर अमेरिका की पहुंच होगी, इसका ऐलान नहीं किया गया है।

समझौते के बाद अमेरिका ने कहा कि इससे फिलीपींस को मदद पहुंचाने के साथ दूसरी चुनौतियों से निपटने में मदद मिलेगी।
समझौते के बाद अमेरिका ने कहा कि इससे फिलीपींस को मदद पहुंचाने के साथ दूसरी चुनौतियों से निपटने में मदद मिलेगी।

फिलीपींस में थे 15 हजार से ज्यादा अमेरिकी सैनिक
इस समझौते को 30 साल से ज्यादा समय के बाद फिलीपींस में अमेरिका की वापसी के तौर पर देखा जा रहा है। दरअसल, 1950 के दौर में वियतनाम और कोल्ड वॉर के दौरान अमेरिका के फिलीपींस में क्लार्क फील्ड और सूबिक बे के पास 2 बड़े मिलिट्री बेस थे। यहां 15 हजार से ज्यादा अमेरिकी सैनिक तैनात थे।

वियतनाम-कोल्ड वॉर के दौरान सूबिक बे और क्लार्क फील्ड में अमेरिका के 2 बड़े मिलिट्री बेस थे।
वियतनाम-कोल्ड वॉर के दौरान सूबिक बे और क्लार्क फील्ड में अमेरिका के 2 बड़े मिलिट्री बेस थे।

वापस बुला ली थी आर्मी
1991 में फिलीपीन्स के लोगों ने तानाशाह फर्डिनेंड मार्कोस को हटाकर देश में लोकतंत्र की स्थापना की। वियतनाम वॉर काफी पहले खत्म हो चुका था और कोल्ड वॉर भी खत्म होने की कगार पर था। साथ ही चीनी मिलिट्री तब इतनी ताकतवर नहीं थी, जिसे देखते हुए 1992 में अमेरिका ने फिलीपींस से अपनी सेना को वापस बुला लिया।

गलत साबित हुआ अमेरिकी फौज का सोच
अब 30 साल बाद मार्कोस परिवार की सत्ता में वापसी हो गई है। वहीं चीनी सेना दुनिया की सबसे ताकतवर सेनाओं में शामिल है। साथ ही चीन लगातार साउथ चाइना सी में अपने मिलिट्री बेस बढ़ा रहा है। 2014 के बाद से चीन ने फिलीपींस के अपने एक्सक्लूजिव इकोनॉमिक जोन में मिसचीफ रीफ सहित 10 अन्य जगहों पर आर्टिफिशियल आइलैंड बेस बना लिए हैं। इससे पहले 2012 में उसने फिलीपींस के स्कारबोरोह शोल पर कब्जा करने की भी कोशिश की थी। चीन की तरफ से बढ़ते खतरे को देखते हुए फिलीपींस ने फिर से अमेरिका का रुख किया है।

फिलीपींस में लेफ्ट विंग अमेरिका के साथ हुए समझौते का लगातार विरोध कर रहा है।
फिलीपींस में लेफ्ट विंग अमेरिका के साथ हुए समझौते का लगातार विरोध कर रहा है।

हालांकि, एक्सपर्ट्स के मुताबिक, फिलीपींस जापान और ऑस्ट्रेलिया की तरह खुले तौर पर चीन का विरोध नहीं कर रहा है। वो चीन की सैन्य ताकत को देखते हुए अमेरिका से मदद लेने के साथ ही चीन से भी अपने इकोनॉमिक संबंधों को बनाए रखने की कोशिश कर रहा है।

घरेलू सियासत से निपटना होगा

फिलीपींस सरकार ने भले ही अमेरिका को 4 मिलिट्री बेस इस्तेमाल करने की मंजूरी दे दी हो, लेकिन इसका विरोध भी हो रहा है। दरअसल, फिलीपींस की सियासत में अब भी लेफ्ट विंग का दखल है। यह पारंपरिक तौर पर चीन का समर्थक और अमेरिका का विरोधी है। लिहाजा, उसने अमेरिका को मिलिट्री बेस दिए जाने का विरोध किया है और वो सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। हालांकि, सरकार को पहले ही इसका अंदाजा था। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि इस विरोध में ज्यादा दम नहीं है और यह बहुत जल्द दम तोड़ देगा। इसके बाद चीन को फिलीपींस में समर्थन मिलना नामुमकिन हो जाएगा और तब तक अमेरिकी सेना यहां पहुंच चुकी होगी।

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