दुनिया नए साल में प्रवेश कर चुकी है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है क्या इस साल के आखिर तक अधिकांश आबादी को कोविड के खिलाफ वैक्सीनेटेड किया जा सकेगा। अभी दुनिया कोविड के ओमिक्रॉन वैरिएंट की चपेट में है। कम आय वाले देश अभी टीकाकरण के लक्ष्य से काफी दूर हैं। सबसे कम आय वाले सभी 25 देश अभी भी 40% टीकाकरण लक्ष्य से दूर हैं।
निम्म मध्ययम आय वाले 55 में 35 देश इस लक्ष्य से दूर हैं। सिर्फ 20 देशों में ही 40% से अधिक टीकाकरण हो चुका है। उच्च-मध्यम आय वाले 50 में से सिर्फ 26 देश ही 40% टीकाकरण लक्ष्य पूरा हुआ हैं। वहीं उच्च आय वाले 61 में से 60 देशों में टीकाकरण 40% से अधिक है। इनमें 30 देशों में 70% से अधिक आबादी को टीका लग चुका है। यूएई में सर्वाधिक 91% आबादी को टीका लग चुका है।
गरीब देशों में टीकाकरण की धीमी रफ्तार कोरोना का खतरा बढ़ा रही
लक्ष्य: 2022 में 100% टीकाकरण संभव नहीं
ड्यूक यूनिवर्सिटी ग्लोबल हेल्थ सेंटर के कृष्ण उदयकुमार कहते हैं कि सितंबर 2022 में 70% आबादी का लक्ष्य है। यूएन और डब्ल्यूएचओ के मुताबिक यह उसी स्थिति में संभव था, जब 2021 तक 40% आबादी का टीकाकरण लक्ष्य पूरा होता। 90 देश इस लक्ष्य से चूक गए हैं। यह काफी चिंताजनक है। इससे हम अनावश्यक रूप से जान गंवा रहे हैं और आर्थिक नुकसान झेल रहे हैं।
चूक: कोवैक्स फंड जुटाता तो स्थिति अलग होती
अगर कोवैक्स शुरू से फंड जुटाता तो गरीब देशों में टीकों की सप्लाई अच्छी होती। 2020 तक 18000 करोड़ रुपए फंड जुटाने में काफी समय लगा। इसमें नकदी 3000 करोड़ रुपए थी। फंड से कोवैक्स वैक्सीन बनाने की क्षमता वाले विनिर्माण संयंत्रों की पहचान करके वैक्सीन आपूर्तिकर्ताओं के पूल का अधिक तेजी से विस्तार कर सकता था। इससे गरीब देशों में वैक्सीन निर्माण को गति मिलती।
समस्या: वैक्सीन पर कुछ देशों के कब्जे से बिगड़ी बात
अगर गरीब देशों तक टीका पहुंचाने के लिए कोवैक्स नहीं होता तो स्थिति और बदतर होती। 140 से अधिक देशों को 80 करोड़ डोज मिली है। लेकिन टीको पर अमीर देश के कब्जे ने इस प्रोग्राम को नाकाम कर दिया। शुरू में टीके सिर्फ अमीर देशों के लिए थे। अभी टीका धीमी रफ्तार से दूसरे देश में रास्ता बना रहे हैं। सीमित संसाधन और कुछ कंपनियों पर निर्भरता ने कोवैक्स की राह मुश्किल की।
समाधान: गरीब देशों में वैक्सीन बनाने के रास्ते बनें
वैक्सीन सहयोगी संस्था गावी के प्रमुख सेत बर्केले कहते हैं कि अभी वैक्सीन निर्माण उच्च आय वाले देशों के साथ-साथ भारत और चीन में हो रहा है। ये वे क्षेत्र हैं, जिन्हें टीकों तक सबसे तेज पहुंच मिली है। दान की गई खुराक एक अल्पकालिक समाधान है। अब गरीब देशों में टीका निर्माण की जरूरत है। साथ ही अमीर देश पहले से खरीदे गए अतिरिक्त टीकों के दान में तेजी लाएं।
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