कई बार बच्चों को यह शिकायत करते हुए देखा होगा कि अमुक छात्र तो शिक्षक का पसंदीदा है, इसलिए उसे ज्यादा नंबर मिले। बच्चे ये बात भले ही अनजाने में कहते रहे हों, पर इस बात को अब वैज्ञानिक आधार भी मिल गया है। एक ताजा स्टडी के मुताबिक परीक्षा में नंबर देते समय शिक्षक अपने प्रिय छात्रों को लेकर पक्षपाती हो सकते हैं। ऐसा करने में वे उनकी वास्तविक शैक्षणिक क्षमता की परवाह भी नहीं करते। यही नहीं शिक्षकों के पसंदीदा छात्रों को ग्रेडिंग में 10% का फायदा मिलता है।
यह दावा बेलफास्ट की क्वींस यूनिवर्सिटी और लंदन की गोल्डस्मिथ यूनिवर्सिटी के शिक्षाविद् और मनोवैज्ञानिकों ने अपनी स्टडी में किया है। एक अंतरराष्ट्रीय प्रोजेक्ट के तहत हुई इस स्टडी में 2019-20 के दौरान यूनिवर्सिटी में टेक्नोलॉजी, साइंस, आर्ट्स और स्पोर्ट्स की पढ़ाई कर रहे छात्रों को टीचर द्वारा दिए गए ग्रेड और उसी साल अज्ञात शिक्षकों द्वारा ग्रेडिंग की तुलना की गई।
उनके व्यक्तित्व और मनोवैज्ञानिक रिकॉर्ड को भी ग्रेडिंग से जोड़कर देखा गया। क्वींस यूनिवर्सिटी प्रमुख शोधकर्ता डॉ. कोस्टास पेपेजोर्गियो का कहना है कि यह स्टडी छोटी है पर पूरे शिक्षा तंत्र के लिए अहम है। छात्रों की शैक्षणिक क्षमता, व्यावहारिक सामर्थ्य और बाधाओं के बीच संबंध का पता लगाने वाली यह संभवत: पहली कोशिश है। बहुत से देशों में इस बार परीक्षा के नतीजे ग्रेडिंग के आधार पर दिए जाएंगे। इसलिए मेहनती छात्रों के साथ अन्याय न हो जाए, शिक्षकों को यह ध्यान रखना होगा।
स्टडी के मुताबिक शिक्षक उन छात्रों को लेकर उदार रहते हैं जो तनावग्रस्त, चिंतित या भावनात्मक रूप से कमजोर रहते हैं। पर नकारात्मक मानसिकता और असामाजिक छात्रों के प्रति वे सख्त रहते हैं। शिक्षकों द्वारा दी जाने वाली ग्रेडिंग पर कुछ हद तक पूर्वाग्रहों का असर भी दिखता है। जैसे स्कूल के कामों में तत्पर रहने वाले, सभी से अच्छा व्यवहार करने वालों को आंकने में भी नरमी बरती जाती है। एक बात यह अच्छी रही कि यह पक्षपाती रवैया जेंडर और जातीय आधार पर नहीं होता।
व्यक्तित्व हावी होने का बुरा प्रभाव शैक्षणिक उपलब्धि पर होता है: स्टडी
गोल्डस्मिथ यूनिवर्सिटी में मनोविज्ञान की प्रोफसर यूलिया कोवास के मुताबिक जो बच्चे आत्ममुग्ध होते हैं उनके व्यवहार को लेकर क्या समस्याएं हैं यह आसानी से पता नहीं चल पाता। स्टडी में पता चला है कि जिन बच्चों पर व्यक्तित्व हावी होता है,चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक, उनकी शैक्षणिक उपलब्धियों पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। प्रो. कोवास कहती हैं कि हमारी स्टडी से यह तो तय हो गया है कि शैक्षणिक उपलब्धि में व्यक्तित्व और व्यवहार का भी बड़ा योगदान रहता है।
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