वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के एक्सपर्ट्स ने एस्ट्राजेनेका/ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन के इस्तेमाल को बढ़ावा देने की सिफारिश की है। उन्होंने बुधवार को कहा कि इससे होने वाले संभावित खतरों के मुकाबले फायदे ज्यादा हैं। स्ट्रैटेजिक एडवाइजरी ग्रुप ऑफ एक्सपर्ट्स (SAGE) ने अपनी सिफारिशों में कहा कि WHO की ओर से रिव्यू किया गया डेटा इस बात का समर्थन करता है।
एक्सपर्ट्स ने ब्रिटेन, साउथ अफ्रीका और ब्राजील में की गई स्टडी के ट्रायल डेटा का हवाला देते हुए कहा कि 2 डोज देने के बाद वैक्सीन की इफिकेसी 63.09 % रही। SAGE ने यह भी सिफारिश की है कि वैक्सीन का दूसरा डोज 8 से 12 हफ्ते बाद दिया जाना चाहिए। ज्यादातर वैक्सीन में यह अंतर 24 दिन का रखा जा रहा है। यह वैक्सीन 65 साल और उससे ज्यादा उम्र वालों को लिए भी सेफ लगती है।
टीम ने उन रिपोर्ट्स का भी जिक्र किया, जिनमें कहा गया है कि एस्ट्राजेनेका वैक्सीन वायरस के नए स्ट्रेन पर कम इफेक्टिव है। फिर भी उन्होंने साउथ अफ्रीका जैसे देशों में वैक्सीन के इस्तेमाल की सिफारिश दी है, जहां नया स्ट्रेन मिला है।
बुजुर्गों को वैक्सीन लगाने की सलाह, भले असर कम हो
SAGE की सिफारिशों के पब्लिश होने के बाद WHO के वैक्सीन और बायोलॉजिकल डिपार्टमेंट के डायरेक्टर केट ओ ब्रायन ने कहा कि एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन बुजुर्गों को लगाने लायक थी। भले ही इसकी इफिकेसी कम होकर 10% रही हो, जैसा कि जनवरी के आखिर में जर्मनी की मीडिया ने बताया था।
ओ ब्रायन ने कहा कि मॉडलिंग के डेटा से पता चला है कि जब वैक्सीन की अनुमानित इफिकेसी 10% से कम हो जाती है, तब भी बुजुर्गों का वैक्सीनेशन करना सही होता है, क्योंकि उस उम्र में गंभीर बीमारी और मौत का जोखिम ज्यादा होता है।
WHO ने कोवैक्स के लिए चुनी वैक्सीन
WHO ने कोवैक्स फैसिलिटी के लिए एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन को चुना है। कोवैक्स WHO का वैक्सीन डिस्ट्रीब्यूशन इनिशिएटिव है। कम और मध्यम आय वाले ज्यादातर देशों को गावी-कोवैक्स अलायंस के जरिए ही वैक्सीन मिलेगी। कोवैक्स प्रोजेक्ट को 75 से ज्यादा अमीर देशों से मदद मिल रही है। इसका मकसद पूरी दुनिया में जिम्मेदारी के साथ सबको वैक्सीन उपलब्ध कराना है।
ऑर्गेनाइजेशन की चीफ साइंटिस्ट सौम्या स्वामीनाथन ने उम्मीद जताई कि एस्ट्राजेनेका वैक्सीन इमरजेंसी यूज की लिस्ट में जल्द ही शामिल हो जाएगी। एक हफ्ते पहले ही कोवैक्स फैसिलिटी ने कहा था कि उसकी एस्ट्राजेनेका की लगभग 35 करोड़ वैक्सीन डिस्ट्रिब्यूट करने की योजना है। इनमें से 24 करोड़ का प्रोडक्शन सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की ओर से 2021 की पहली छमाही में होने की उम्मीद है।
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