डब्ल्यूएचओ कोरोना की उत्पत्ति की अगली जांच शुरू करने की योजना बना रहा है। लेकिन कई वैज्ञानिकों का कहना है कि डब्ल्यूएचओ को इस जांच का नेतृत्व नहीं करना चाहिए। कोरोना की उत्पत्ति को लेकर अमेरिका और चीन के बीच राजनीतिक तनाव है। इसलिए डब्ल्यूएचओ जांच के सही नतीजे तक नहीं पहुंच सकेगा। दरअसल, इस महीने के शुरू में डब्ल्यूएचओ के आपात स्थिति प्रमुख डॉ. माइकल रयान ने कहा था, ‘हम जांच के अगले चरण की तैयारी पर काम कर रहे हैं।
लेकिन डब्ल्यूएचओ चीन को जांच में सहयोग के लिए मजबूर नहीं कर सकता। वह केवल निवेदन कर सकता है।’ इसके बाद वैज्ञानिकों ने कहा कि डब्ल्यूएचओ के नेतृत्व में जांच सफल नहीं हो सकती। ऐसा कहने वालों में जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी में डब्ल्यूएचओ के अधिकारी लॉरेंस गोस्टिन भी शामिल हैं। गोस्टिन ने कहा कि पिछले डेढ़ साल से चीन डब्ल्यूएचओ पर भारी पड़ रहा है।
पहली जांच में कहा था- लैब से नहीं निकला कोरोना
कोरोना की शुरुआत को लेकर डब्ल्यूएचओ और चीन ने संयुक्त अध्ययन किया था। इसके पहले भाग के निष्कर्ष में यह बताया गया था कि कोरोना किसी जानवर से इंसान में पहुंचा होगा। किसी लैब से वायरस नहीं निकला। आरोप है कि वुहान शहर की लैब से कोरोना निकला। इसी शहर में सबसे पहले कोरोना फैला था। अमेरिका को चीन और डब्ल्यूएचओ की संयुक्त जांच के नतीजों पर यकीन नहीं है। इसलिए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने खुफिया विभाग को समीक्षा रिपोर्ट देने के आदेश दिए थे।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.