कोरोना काल के दौरान रिमोट वर्क का चलन बढ़ा। अमेरिका में मई 2020 के दौरान सबसे अधिक 35% कर्मचारी रिमोट वर्किंग कर रहे थे। यानी दफ्तर नहीं आ रहे थे। लेकिन अब सर्दियों की शुरुआत के साथ ही अब केवल 11% ही कर्मचारी रिमोट वर्किंग कर रहे हैं। यानी वे दफ्तर नहीं आ रहे हैं। लेकिन अब कर्मचारी दफ्तरों यानी वर्क फ्रॉम वर्क को लौट रहे हैं। इसे ग्रेट ऑफिस रीओपनिंग का नाम दिया गया। अभी स्थिति यह है कि लगभग 50% कर्मचारी अब वर्कप्लेस को लौट गए हैं।
कोरोना काल में कई बड़ी कंपनियों ने रिमोर्ट वर्क को लागू किया, लेकिन अब हालात बदलने के कारण दफ्तरों में भ्रम की स्थिति भी बन रही है। एक एचआर कंपनी के कैरन कोच का कहना है कि हाइब्रिड वर्क के कारण न तो वर्क फ्रॉम वर्क करने वाले कर्मचारी और न ही रिमोट पर काम करने वाले कर्मचारी को उनके बारे में पता होता है। लेकिन एक उद्यमी क्रिस हर्ड का मानना है कि हाइब्रिड वर्क भविष्य के लिए गेंम चेंजर भी साबित हो सकता है। जरूरत इस बात की है कि कंपनियां इसे अन्य कर्मचारियों को ध्यान में रखकर तय करे।
कंपनियों को तीन श्रेणी के कर्मचारियों के लिए नीित बनाने में भी आ रही हैं परेशािनयां
कंपनियों को अब तीन श्रेणी के कर्मचारियों- वर्क फ्रॉम वर्क, रिमोर्ट वर्क और हाइब्रिड वर्क के लिए नीतियां बनानी पड़ रही हैं। कई इन्सेंटिव मसलन टूर कार्य के आधार पर बनते हैं। ऐसे में उन्हें पता ही नहीं चलता कि अमुक कर्मी रिमोट वर्क पर है अथवा दफ्तर आ रहे हैं। वर्क फ्रॉम वर्क के कई कर्मी हाइब्रिड या रिमोट वर्क के विरुद्ध हैं। कोरोना काल में वर्चुअल मीटिंग और वर्क कल्चर से किसी प्रकार से एडजस्ट किया लेकिन अब उन्हें हाइब्रिड वर्क वाले कर्मियों के साथ काम में दिक्कतें आ रही हैं।
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