कोरोना वायरस सबसे पहले कहां से आया, इस बात की जांच को लेकर चीन पर दबाव बढ़ता जा रहा है। एक तरफ ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि कोरोना चीन की वुहान लैब से ही निकला है और इसके प्राकृतिक तौर पर चमगादड़ों से फैलने के सबूत नहीं हैं। दूसरी ओर अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने तो चीन की मिलिट्री से जुड़ी गतिविधियों में भी वुहान लैब के शामिल होने का दावा किया है।
पोम्पियो का कहना है कि 'मैं यह निश्चित तौर पर कह सकता हूं कि वे (वुहान लैब) पीपुल्स लिबरेशन आर्मी से जुड़े कामों में शामिल थे। लैब में मिलिट्री से जुड़ी जो गतिविधियां हो रही थीं उन्हें सिविलियन रिसर्च बताया गया। उन्होंने हमें इसके बारे में जानकारी देने से इनकार कर दिया। यहां तक कि उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को भी इस बारे में बताने से इनकार कर दिया था।'
ऑस्ट्रेलियाई एक्सपर्ट ने कहा- चीन ने दुनिया के वैज्ञानिकों को धोखा दिया
कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर चीन पर शुरू से ही सवाल उठते रहे हैं और अब अंतरराष्ट्रीय दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। एक दिन पहले ही ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने वुहान लैब से ही कोरोना वायरस लीक होने का दावा किया है। इससे पहले 26 मई को ऑस्ट्रेलिया के फ्लिन्डर्स मेडिकल सेंटर के डायरेक्टर ऑफ एन्डोक्रिनोलॉजी प्रोफेसर निकोलई पेट्रोव्स्काई ने कहा था कि चीन ने दुनिया की वैज्ञानिक बिरादरी को धोखा दिया है।
पिछले हफ्ते अमेरिका ने भी चीन से कहा था कि वुहान लैब से वायरस लीक होने की संभावना को लेकर आगे और जांच करवाई जाए। हालांकि चीन ने कहा कि वुहान से कोरोना वायरस की उत्पत्ति की बातें गलत हैं। बल्कि यह अमेरिका की इंटेलीजेंस एजेंसीज की रची हुई साजिश है।
चीन ने WHO को नहीं दिए पूरे डेटा
वुहान से वायरस लीक होने की जांच WHO की टीम भी कर चुकी है, लेकिन उन्हें इस बात के कोई सबूत नहीं मिले थे। हालांकि जांट के दौरान WHO की टीम पर चीन ने कड़ी नजर रखी थी। जांच टीम के सदस्यों ने यह भी कहा था कि चीन ने कोरोना की शुरुआती संक्रमण से जुड़े प्रमुख डेटा देने से इनकार कर दिया था।
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