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चीन के जियामीन से लॉकडाउन की रिपोर्ट:सरकार ने सप्लाई चेन टूटने नहीं दी, हेल्थ वर्कर्स को सुरक्षा दी; कोरोना फैलाने की साजिश रचने पर सजा का कानून बनाया

जियामीन3 वर्ष पहलेलेखक: धर्मेंद्र कृष्ण तिवारी
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तस्वीर जियामीन शहर की मेट्रो रेल की है। इसमें मरून टी-शर्ट में मास्क लगाए डॉ. सोहन सिंह यादव हैं। जियामीन यूनिवर्सिटी के सॉफ्टवेयर स्कूल में लेक्चरर यादव ने बताया कि 45 दिन के सख्त लॉकडाउन के बाद अब जनजीवन सामान्य हो रहा है। - Dainik Bhaskar
तस्वीर जियामीन शहर की मेट्रो रेल की है। इसमें मरून टी-शर्ट में मास्क लगाए डॉ. सोहन सिंह यादव हैं। जियामीन यूनिवर्सिटी के सॉफ्टवेयर स्कूल में लेक्चरर यादव ने बताया कि 45 दिन के सख्त लॉकडाउन के बाद अब जनजीवन सामान्य हो रहा है।
  • जियामीन यूनिवर्सिटी के सॉफ्टवेयर स्कूल के लेक्चरर डॉ. सोहन सिंह यादव ने साझा किए अपने अनुभव
  • बताया- सरकार ने लॉकडाउन का जितनी सख्ती से पालन कराया, आम लोगों ने उतनी सख्ती से पालन भी किया

कोरोनावायरस से लड़ने के लिए भारत में इस समय लॉकडाउन का तीसरा फेज चल रहा है। जिस चीन से कोरोनावायरस पूरी दुनिया में फैला, वहां के कई शहर अब लॉकडाउन से मुक्त होकर सामान्य हो गए हैं। चीन के फूजियान प्रांत के जियामीन शहर में रहने वाले डॉ. सोहन सिंह यादव मूल रूप से उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले के हैं। वे चीन की जियामीन यूनिवर्सिटी में सॉफ्टवेयर स्कूल में लेक्चरर हैं। जानिए जियामीन शहर में लॉकडाउन की कहानी, डॉ. सोहन सिंह की जुबानी...

ये फोटो जियामीन शहर के जियांयु रोड की है। आम दिनों में इस रोड से हर सेकंड हजारों वाहन निकलते हैं, लेकिन लॉकडाउन में यहां पूरी तरह सन्नाटा रहा।
ये फोटो जियामीन शहर के जियांयु रोड की है। आम दिनों में इस रोड से हर सेकंड हजारों वाहन निकलते हैं, लेकिन लॉकडाउन में यहां पूरी तरह सन्नाटा रहा।

डाॅ. सोहन बताते हैं- ‘‘चीन में लॉकडाउन 23 जनवरी को शुरू हुआ था। मैं उस समय इंडोनेशिया में था। 29 जनवरी को में जकार्ता से डायरेक्ट फ्लाइट लेकर जियामीन पहुंचा। वहां एयरपोर्ट पर पूरा फिल्मी सीन था। स्वास्थ्यकर्मी पीपीई किट पहनकर स्क्रीनिंग कर रहे थे। वहां से करीब तीन घंटे के बाद जब निकला तो जिस एरिया में रहता हूं, वहां के लोकल सिक्योरिटी ब्यूरो में रिपोर्ट करनी पड़ी। उन लोगों ने भी मोबाइल नंबर से मुझे ट्रैक कर बुलाया और दोबारा स्क्रीनिंग की।’’

यह जियामीन शहर का चेंग गोंग ब्रिज हैं। लॉकडाउन के दौरान पहला मौका था जब वाहनों का शोर यहां सुनाई नहीं दे रहा था।
यह जियामीन शहर का चेंग गोंग ब्रिज हैं। लॉकडाउन के दौरान पहला मौका था जब वाहनों का शोर यहां सुनाई नहीं दे रहा था।

‘‘जियामिन में 18 मार्च तक लॉकडाउन रहा। मैं 45 दिन में सिर्फ 6 बार घर से निकला। वह भी खाने-पीने की चीजें खरीदने। किसी को बाहर निकलने की इजाजत नहीं थी। जिन जियांयु रोड पर हर सेकंड हजारों वाहन निकलते थे, वहां सन्नाटा था। चेंग गोंग ब्रिज पर पहला मौका था, जब वहां रफ्तार का शोर नहीं था। मैज्जिओ बीच पर लोगों की चहल-पहल नहीं, सिर्फ लहरों का संगीत सुनाई दे रहा था। डेक्स्यू रोड से रौनक गायब थी, यहां लजीज व्यंजनों की महक की जगह सिर्फ सिक्योरिटी फोर्स का पहरा था।’’

सरकार ने कहा तो लोगों ने पालन भी किया

डॉ. सोहन के मुताबिक, ‘‘चीन सरकार ने ऐलान कर दिया था कि कोई बाहर नहीं जाएगा तो कोई भी बाहर निकला भी नहीं। कोई बाहर निकला तो सिक्योरिटी फोर्स उसे टोका और वापस भेज दिया। बिल्डिंग से निकलने पर सिक्योरिटी गार्ड भी टोकता था। सोसाइटी में आने-जाने से पहले थर्मल स्कैनिंग होती थी।’’

‘‘भारत से ऐसी रिपोर्टें आई, जिसमें पता लगा कि लोग तफरी लेने निकल रहे हैं, लेकिन चीन में लॉकडाउन का कड़ाई से पालन कराया गया। कोई भी बिना काम के घर से नहीं निकला। मीडिया में ऐसी रिपोर्ट्स भी आई कि कुछ लोग जान-बूझकर लिफ्ट के बटनों में थूक लगा रहे हैं। इसके बाद सरकार ने कानून पास कर दिया था कि कोई भी जानबूझकर कोरोना फैलाएगा तो उसे जेल भेजा जाएगा। इसके बाद ऐसी घटना नहीं हुई।’’

जियामीन शहर के इस इलाके में रोज सैकड़ों लोग सैरसपाटे के लिए आते थे, लेकिन लॉकडाउन में यहां सिर्फ खामोशी थी।
जियामीन शहर के इस इलाके में रोज सैकड़ों लोग सैरसपाटे के लिए आते थे, लेकिन लॉकडाउन में यहां सिर्फ खामोशी थी।

चीन इस महामारी से इन 3 फैसलों के बल पर लड़ा

  • स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा: सभी स्वास्थ्य कर्मियों के पास पीपीई किट और मास्क आदि थे। मेडिकल शिफ्ट तय की थी। शिफ्ट खत्म होते ही दूसरी शिफ्ट तैयार होती थी। बैकअप भी तैयार था, ताकि अगर कोई डॉक्टर, नर्स या अन्य स्वास्थ्यकर्मी बीमार हो तो उनकी जगह दूसरा व्यक्ति काम संभाल ले।
  • फूड सप्लाई की चेन नहीं टूटने दी: फूड सप्लाई चेन सरकार ने संभाल ली थी। सरकार ने खुद सप्लाई की या अपनी देखरेख में प्राइवेट सप्लायर से कराई। सप्लाई बराबर हुई। सरकार ने सप्लाई चेन टूटने नहीं दी। दूध-फल-सब्जी-मीट सब मांग की अनुरूप सप्लाई हुआ। किसी को इसकी दिक्कत नहीं हुई।
  • सरल भाषा में बनाए नियम, सोशल मीडिया की निगरानी की: लोगों की सुरक्षा के लिए सरल भाषा में नियम बनाए। उन्हें बदला नहीं गया। जो बदलाव किए भी, वह लोगों को अच्छी तरीके से समझाए गए। सरकारी न्यूज एजेंसियां पूरी तरह एक्टिव रहीं। वॉलंटियर्स की फौज तैयार की, ताकि किसी को कोई दिक्कत न हो। सोशल मीडिया पर पूरी निगरानी की, अफवाह फैलाने वाले को जेल भेजा गया। लोगों ने बात मानी और कोई निकला नहीं।

लोगों ने सरकार का साथ दिया, इसलिए राहत मिली

 डॉ. सोहन सिंह बताते हैं कि लोगों ने सरकार के बनाए नियमों का बखूबी पालन किया। अब स्कूल-कॉलेज खुल गए हैं। मेट्रो भी चालू है। शॉपिंग मॉल खुले हैं। मास्क पहनना अभी भी जरूरी है। हालांकि, ऐहतियातन अभी भी सरकार ने 1 से 5 तक के स्कूल, जिम, सिनेमाघर बंद ही रखे हैं।

शाकाहार-योग अपना रहे चीनी
चाइनीज कम्युनिटी अब शाकाहार की ओर बढ़ रही है। सरकार भी लोगों को योग और शाकाहार अपनाने के लिए कह रही है। लोगों को समझाया जा रहा है कि योग और शाकाहार से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

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